डेंगू का प्रकोप लगातार बढ़ता जा रहा है. डेंगू के मरीजों के साथ बीमारी की वजह से होने वाली मौत के आंकड़ें भी लगातार बढ़ते जा रहे हैं. इसलिए इस वक्त डेंगू से बचाव करना बहुत ज्यादा जरूरी है. आपने देखा होगा कि डेंगू में कई लोग तो आसानी से ठीक हो जा रहे हैं, लेकिन मरीजों की हालत खराब हो जाती है. इसलिए ये जानना जरूरी है कि डेंगू किस वक्त आपकी हेल्थ के लिए जानलेवा हो सकता है और स्थिति में क्या क्या लक्षण होते हैं…
आप भी इन लक्षणों के बारे में जानकर समझ सकते हैं कि किस वक्त डेंगू खतरनाक हो जाता है और भविष्य में कभी भी इस परिस्थिति का सामना होने पर इलाज करवाया जा सकता है. तो आइए जानते हैं कि आखिर डेंगू कब मरीज के लिए खतरनाक हो जाता है और उस स्थिति में मरीज के शरीर में क्या क्या लक्षण दिखाई देते हैं…
ये तो आप जानते हैं डेंगू किस तरह से फैलता है और इसके लक्षण क्या होते हैं. लेकिन, सवाल ये है कि आखिर कैसे पता लगाया जाए कि डेंगू अब सीरियस हालत तक पहुंच गया है यानी अब जल्द से जल्द एक्सट्रा ट्रीटमेंट की आवश्यकता है. ऐसे में आज हम आपको डेंगू की स्टेज के बारे में बता रहे हैं, जिससे आप समझ जाएंगे कि डेंगू अब खतरनाक स्थिति में है.
कितने दिन का होता है डेंगू?
जिस दिन डेंगू वायरस से संक्रमित कोई मच्छर किसी व्यक्ति को काटता है तो उसके करीब 3-5 दिनों बाद ऐसे व्यक्ति में डेंगू बुखार के लक्षण प्रकट हो सकते हैं. यह संक्रामक काल 3-10 दिनों तक भी हो सकता है.
डेंगू की स्थिति?
एक तरह से डेंगू तीन प्रकार के होते हैं, जिसमें एक तो सामान्य डेंगू हैं और दूसरे डेंगू खतरनाक होते हैं. तीन तरह के डेंगू में क्लासिकल डेंगू, डेंगू हमरेडिक बुखार (DHF) और डेंगू शॉक सिंन्ड्रोम (DSS) शामिल हैं.
– क्लासिकल (साधारण) डेंगू बुखार में ठंड लगने के साथ अचानकल बुखार चढ़ना, सिर-जोड़ों में दर्द, आंखों के पिछले भाग में दर्द होना, अत्यधिक कमजोरी लगना, भूख में बेहद कमी और मुंह के स्वाद का खराब होना जैसे लक्षण होते हं. लेकिन, इन्हें सामान्य माना जाता है और 5-7 दिन यह दिक्कत होने के बाद रोगी टीक हो जाता है.
– फिर डीएचएफ की स्थिति आती है, जब नाक, मसूड़ों से खून आना, शौच व उल्टी में खून आना, स्किन पर नीले-काले रंग के चिकत्ते पड़ जाना आदि लक्षण आने लग जाते हैं. इसके लिए टोर्निके टेस्ट करवाया जाता है, जिससे इसके बारे में पता चल जाता है. इसके अलाव ब्लड प्लेटलेट्स कम होना भी शुरू हो जाता है.
– फिर बारी आती है डीएसएस की. डीएसएस में सामान्य डेंगू के साथ कई दूसरे लक्षण भी आ जाते हैं तो दिक्कत हो जाती है. इस स्थिति में बैचेनी काफी ज्यादा हो जाती है और तेज बुखार के बावजूद भी उसकी त्वचा ठंडी महसूस होती है. इसके अलावा रोगी धीरे-धीरे होश खोने लगता है. अगर रोगी की नाड़ी देखी जाए तो वह तोज और कमजोर महसूस होती है. रोगी का ब्लड प्रेशर कम होने लगता है.
ऐसे में अगर रोगी के ये लक्षण आने लग जाए तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए. साथी ही सामान्य बुखार में भी डॉक्टर की निगरानी में रहना चाहिए और शरीर में कोई भी लक्षण आए तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए. ऐसा करके आप डेंगू का इलाज करवा सकते हैं और इसका इलाज संभव है.