नई दिल्ली: विदेश मंत्री एस जयशंकर ने एक महीने में दूसरी बार संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में भारत के लिए स्थायी सीट का दावा पेश किया है। सऊदी अरब की यात्रा के दौरान जयशंकर ने कहा कि सुरक्षा परिषद में स्थायी सीट हासिल करने का भारतीय दावा काफी मजबूत है, ताकि वैश्विक सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिहाज से इस परिषद को प्रभावी रूप से सक्षम बनाया जा सके और अहम बात यह है कि इसके जरिए इसे और प्रासंगिक बनाया जा सके। जयशंकर ने यह टिप्पणी सऊदी अखबार सऊदी गजट को दिए एक इंटरव्यू के दौरान की।
करीब चार हफ्ते पहले बेंगलुरु में छात्रों के साथ बातचीत के दौरान जयशंकर ने कहा था कि भारत दुनिया की 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है और अगले साल इसकी आबादी दुनिया में सबसे बड़ी होने वाली है, ऐसे में यह सुरक्षा परिषद में एक स्थायी सीट का हकदार है, लेकिन उन्होंने पड़ोसी चीन की ओर इशारा करते हुए कहा कि वह इस पर “उदारवादी रवैया” नहीं अपना रहा है और अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं के पुनर्गठन को रोक रहा है। इस इंटरव्यू में जयशंकर ने कहा कि UNSC अपने वर्तमान स्वरूप में 21 वीं सदी की भू-राजनीतिक वास्तविकताओं का प्रतिनिधित्व नहीं करता और इसमें विशाल भौगोलिक क्षेत्रों का उचित प्रतिनिधित्व नहीं है।
सऊदी गजट से उन्होंने कहा कि भारत सबसे बड़ा लोकतंत्र है और यह पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है, इसके अलावा यह परमाणु ऊर्जा संपन्न देश व टेक्नोलॉजी हब है। ऐसे में यह सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य बनने के योग्य है। परिषद को नई वैश्विक परिस्थितियों के अनुकूल होना चाहिए, ताकि अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा बनाए रखने के साथ-साथ प्रासंगिक बने रहने के उसके उद्देश्य को पूरा किया जा सके।
बता दें कि सुरक्षा परिषद में पांच स्थायी सदस्य हैं। ये हैं चीन, फ्रांस, रूस, ब्रिटेन और अमेरिका। स्थायी सदस्य अपनी पसंद के अनुसार प्रस्ताव न होने पर वीटो का अधिकार रखते हैं। 10 निर्वाचित सदस्यों, जिनका कार्यकाल दो साल रहता है, के पास ऐसा कोई विशेषाधिकार नहीं होता। हाल के वर्षों में अफ्रीकी देशों के अलावा, भारत, जापान, जर्मनी और ब्राजील सहित कई प्रमुख शक्तियां मांग कर रही हैं कि यूएनएससी में वर्तमान भू-राजनीतिक वास्तविकताओं का अधिक से अधिक प्रतिनिधित्व हो।