नई दिल्ली: जी-20 इस बार कई बातों को लेकर सुर्खियों में है. शनिवार को इसकी शुरुआत के दौरान जहां भारत ने अफ्रीकी यूनियन को इसका सदस्य बनाने की वकालत की तो वहीं दूसरी तरफ भारतीय पक्ष ने रूस-यूक्रेन संकट पर गतिरोध को तोड़ने के प्रयास में नेताओं के घोषणापत्र के लिए जी20 सदस्य देशों के बीच एक नया मसौदा सर्कुलेट किया.
जी-20 सदस्य देश और जी7 सदस्य देश के लोगों ने कहा कि शुक्रवार को तैयार किए गए घोषणा पत्र के मसौदे में, जिस पर ज्यादातर जी20 सदस्य देशों ने सहमति जताई थी, उसमें “भूराजनीतिक स्थिति” या यूक्रेन संकट पर पैराग्राफ को खाली छोड़ दिया गया था. इन देशों के नेताओं की मानें तो जी20 के वार्ताकारों ने मसौदे में 75 अन्य पैराग्राफों पर एक समझौता किया था, जिसमें जलवायु परिवर्तन के लिए वित्तपोषण, बहुपक्षीय विकास बैंकों में सुधार और क्रिप्टोकरेंसी के विनियमन जैसे मुद्दे शामिल थे.
जी20 नेताओं के निजी प्रतिनिधि, गुरुवार और शुक्रवार को कई सत्रों के बावजूद यूक्रेन पर पैराग्राफ पर एक समझौते पर पहुंचने में असमर्थ रहे थे. ये सत्र 6 सितंबर को मानेसर में चौथी और अंतिम शेरपा बैठक के समापन के बाद आयोजित किए गए थे. भारतीय पक्ष ने आज (शनिवार) सुबह अन्य G20 सदस्यों के बीच यूक्रेन मुद्दे पर मसौदा पैराग्राफ वितरित किया. अब अन्य स्टेट भी इस पर विचार कर रहे हैं.
बता दें कि रूस और चीन के नेता घोषणा के मसौदे में यूक्रेन संकट के किसी भी संदर्भ का विरोध कर रहे हैं. रूसी पक्ष ने कहा है कि वह पिछले साल के जी20 शिखर सम्मेलन में नेताओं की घोषणा में यूक्रेन संकट के संदर्भ में इस्तेमाल किए गए पाठ को स्वीकार करने को तैयार नहीं है क्योंकि जमीनी स्थिति बदल गई है. चीन ने यूक्रेन युद्ध के किसी भी उल्लेख का इस आधार पर विरोध किया है कि जी20 एक आर्थिक मंच है और उसे भूराजनीतिक मुद्दे नहीं उठाने चाहिए. वहीं, इस वर्ष G20 की भारतीय अध्यक्षता में आयोजित सभी मंत्रिस्तरीय बैठकें यूक्रेन संकट पर मतभेदों के कारण संयुक्त बयान जारी करने में असमर्थ रहीं.