नई दिल्ली : जीएसटी (GST) जैसे ऐतिहासिक सुधारोंऔर सड़क, बंदरगाह व ऊर्जा क्षेत्र जैसे बुनियादी ढांचे पर भारी खर्च के दम पर भारत (India) 9 साल में पांच स्थान की छलांग लगाकर आज दुनिया की 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है। 2014 में यह दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं (economy) में 10वें स्थान पर था।
ब्रोकरेज कंपनी बर्नस्टीन ने सोमवार को ‘पीएम मोदी के नेतृत्व का दशक-एक लंबी छलांग’ शीर्षक वाली रिपोर्ट में कहा कि मौजूदा सरकार को विरासत में एक कमजोर अर्थव्यवस्था मिली थी। कई संस्थान सरकारी संकट में थे, जिसके लिए संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार के कई कदम जिम्मेदार थे। इसके बावजूद ऐतिहासिक सुधारों, महंगाई पर नियंत्रण, वित्तीय समावेशन और डिजिटलीकरण के मोर्चे पर मोदी सरकार ने काफी अच्छा काम किया है।
रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले दशक के कई साल के दौरान भारत की आर्थिक वृद्धि सुस्त रही। लेकिन, सरकार ने नए सुधारों के जरिये अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाया है। प्रधानमंत्री मोदी की अगुवाई में भारत ने कई क्षेत्रों में जबरदस्त प्रगति देखी है। इसमें डिजिटलीकरण, अर्थव्यवस्था को संगठित करना, बेहतर नीतिगत माहौल से विनिर्माण के लिए निवेश आकर्षित करना और बुनियादी ढांचे पर खर्च बढ़ाना शामिल है।
यह रिपोर्ट बनाने के लिए कुछ मानदंडों का आकलन किया गया है। इसमें देखा गया है कि इन मानदंडों पर 2014 के बाद से कैसा प्रदर्शन रहा है। रिपोर्ट में कहा गया है कि 2014 से जीडीपी की वृद्धि सालाना आधार पर 5.7 फीसदी रही है। कोविड-पूर्व की वृद्धि 6.7 फीसदी रही थी। सरकार के कार्यकाल में वृद्धि दर 7.6 फीसदी से कुछ कम रही थी। उस दौर में निचले आधार प्रभाव का लाभ मिला था। साथ ही, वैश्विक स्तर पर ज्यादातर हिस्से में तेजी का माहौल था।
भारत की सफलता में वित्तीय समावेशन और डिजिटलीकरण की बड़ी भूमिका रही है। 2014 के बाद से खोले गए 50 करोड़ जनधन खातों की बदौलत बैंक खाते वाले व्यक्तियों की संख्या बढ़कर 2021 में 77 फीसदी से अधिक हो गई। 2011 में यह 35 फीसदी रही थी। 2022-23 तक प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण बढ़कर 7 लाख करोड़ रुपये से अधिक हो गया है, जो 2013-14 में 74,000 करोड़ रुपये था।
इन मोर्चों पर सुधार की जरूरत
प्रति व्यक्ति आय: भारत इस मामले में काफी पीछे 127वें स्थान पर है। फिर भी, 2014 की तुलना में हालात सुधरे हैं। उस समय प्रति व्यक्ति आय के मामले में देश 147वें स्थान पर था।
मानव विकास सूचकांक : 2016 से रैंकिंग में गिरावट जारी है।
शिक्षा : महिला साक्षरता बढ़ाने के मोर्चे पर बड़ा परिवर्तन नहीं दिखा है। माध्यमिक स्कूलों में नामांकन में लिंग अनुपात एक फीसदी के नीचे है।
भ्रष्टाचार : इस मोर्चे पर खास सुधार नहीं दिखा है। भ्रष्टाचार धारणा सूचकांक अब भी सुस्त है।
सरकार ने सब्सिडी देने के लिए यूआईडी (आधार-पैन लिंक) का प्रभावी ढंग से उपयोग किया है। यूपीआई ने ओएनडीसी के जरिये ई-कॉमर्स डिजिटलीकरण और ओसीईएन के माध्यम से फिनटेक क्रेडिट बढ़ाने का भरोसा देते हुए जबरदस्त प्रगति की है।
पीएम मोदी ने नौ साल पहले ‘अच्छे दिन के वादे’ के साथ शानदार जीत हासिल की और प्रधानमंत्री पद की शपथ ली। आर्थिक वृद्धि को बढ़ाने, लालफीताशाही को कम करने, भ्रष्टाचार खत्म करने और कारोबारी धारणा में सुधार का वादा किया था।