टोक्यो। क्वाड शिखर बैठक- 2022 में भाग लेने जापान पहुंचे पीएम नरेंद्र मोदी ने आज टोक्यो के एक अग्रणी अखबार में आलेख (op-ed) लिखा। इसके माध्यम से उन्होंने अपनी जापान यात्रा व क्वाड के उद्देश्यों व दोनों देशों के उसमें योगदान का संकल्प जताया है। पीएम ने कहा कि मुक्त व समावेशी हिंद-प्रशांत क्षेत्र के विकास, समुद्री सुरक्षा, संप्रभुता व क्षेत्रीय अखंडता में भारत-जापान सक्रिय योगदान देंगे।
पीएम मोदी जापान के पीएम फुमियो किशिदा के न्योते पर दो दिनी यात्रा पर टोक्यो पहुंचे हैं। उन्होंने जापानी अखबार ‘योमीउरी शिंबुन’ में भारत और जापान के बीच जीवंत संबंधों पर आलेख लिखा है। ओपेड अखबार के संपादकीय पेज पर प्रकाशित होने वाले विशेष आलेख को कहा जाता है।
पीएम मोदी ने लिखा है कि हिंद-प्रशांत क्षेत्र में रणनीतिक रूप से स्थित दोनों लोकतांत्रिक देश एक स्थिर और सुरक्षित क्षेत्र के महत्वपूर्ण स्तंभ हो सकते हैं। यही कारण है कि भारत-जापान की साझेदारी व्यापक क्षेत्रों में फैल रही है। उन्होंने लिखा कि रक्षा क्षेत्र में अभ्यास और सूचना के आदान-प्रदान से लेकर रक्षा निर्माण तक हमारे रक्षा संबंध तेजी से आगे बढ़ रहे हैं। मोदी ने ‘भारत-जापान : ए पार्टनरशिप फॉर पीस, स्टेबिलिटी एंड प्रॉस्पेरिटी’ शीर्षक के ऑप-एड में लिखा कि हम सायबर, स्पेस और समुद्र में अधिक काम कर रहे हैं।
भारत-प्रशांत क्षेत्र में चीन की कई देशों के प्रति बढ़ती आक्रामकता व क्षेत्रीय विवाद के बीच पीएम मोदी ने लिखा कि कि भारत और जापान एक खुले, मुक्त और समावेशी इंडो-पैसिफिक क्षेत्र के निर्माण में भी योगदान देंगे। वह चाहेंगे कि क्षेत्र में समुद्र सुरक्षित हों, व्यापार और निवेश के क्षेत्र एकीकृत हों, संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता परिभाषित हो और अंतरराष्ट्रीय कानून का सम्मान किया जाए।
पीएम ने ओपेड में लिखा कि शांतिपूर्ण और समृद्ध हिंद-प्रशांत क्षेत्र पूरी दुनिया के बेहतर भविष्य के लिए महत्वपूर्ण साबित होगा। उन्होंने स्पेशल, स्ट्रैटेजिक व ग्लोबल शब्दों का जिक्र कर कहा कि भारत-जापान साझेदारी का वर्णन करने वाले इन तीन शब्दों में से प्रत्येक का एक अनूठा महत्व है, लेकिन ये हमारे संबंधों की वास्तविक क्षमता से काफी कम हैं। दोनों देशों के रिश्तों का 70 साल का गौरवशाली इतिहास है।
चीन की सरकार लगभग सभी विवादित दक्षिण चीन सागर पर अपना दावा करती है। वह ताइवान, फिलीपींस, ब्रुनेई, मलेशिया और वियतनाम के कुछ हिस्सों पर भी दावा करती है। बीजिंग ने दक्षिण चीन सागर में कृत्रिम द्वीप और सैन्य ठिकाने बना लिए हैं। वह पूर्वी चीन सागर को लेकर जापान के साथ समुद्री विवाद में भी शामिल है।