नई दिल्ली : एलएसी (LAC) पर चीन की कारगुजारियों का करारा जवाब देने के लिए भारत (India) ने अरुणाचल प्रदेश के सीमावर्ती गांवों को ‘टूरिस्ट हब’ बनाने की ओर कदम आगे बढ़ा दिए हैं. सिविल-मिलिट्री पार्टनरशिप के तहत सीमावर्ती गांवों का ये कायाकल्प चीन के कथित मॉडल विलेजेस प्रोग्राम को धूल चटाने के लिए तैयार किया जा रहा है.
चीन की कारस्तानियों का उसी की भाषा में जवाब देने के लिए मोदी सरकार ने वाइब्रेंट विलेजेस प्रोग्राम की शुरुआत की है. इसके तहत न सिर्फ स्थानीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि सीमावर्ती गांवों से पलायन को रोकने में भी कामयाबी मिलेगी. ये तमाम चीजें ऐसे समय में हो रही हैं, जब चीन लगातार पूर्वोत्तर के राज्यों को अपना बताने की साजिश कर रहा है.
एक रिपोर्ट के अनुसार, इन सीमावर्ती गांवों में होमस्टे, ट्रेकिंग, कैंम्पिंग साइट्स, एडवेंचर स्पोर्ट्स और आध्यात्मिक पर्यटन को विकसित करने पर जोर दिया जा रहा है. नाम न छापने की शर्त पर लोगों ने कहा कि अरुणाचल प्रदेश सरकार राज्य में द्वितीय विश्व युद्ध के विमानों के दुर्घटना स्थलों के पर्यटन को बढ़ावा देने के बारे में सोच रही है.
पूर्वी अरुणाचल प्रदेश में भारत-चीन सीमा पर किबिथू और मेशाई में होमस्टे, कैंपिंग साइट्स, जिप-लाइन्स और ट्रेकिंग रूट विकसित करने का काम पहले से ही चल रहा है. इतना ही नहीं राज्य के पूर्वी हिस्से में अंजॉ जिले के अन्य क्षेत्रों में स्थानीय जनजातियों के घरों को भी विकसित करने के काम ने जोर पकड़ना शुरू कर दिया है.
रिपोर्ट के मुताबिक, अरुणाचल प्रदेश तक लोगों की पहुंच को आसान बनाने के लिए राज्य प्रशासन ने भारतीय वायु सेना (IAF) के निकटतम एडवांस लैंडिंग ग्राउंड वालेंग में हेलीकॉप्टरों के लिए एक कमर्शियल लैंडिंग ग्राउंड बनाने का भी फैसला लिया है. इसके जरिये लोगों को डिब्रूगढ़ से उड़ान भरने में मदद मिलेगी.
बीती 10 अप्रैल को मोदी सरकार के गृह मंत्री अमित शाह ने अरुणाचल प्रदेश के किबिथू में वाइब्रेंट विलेजेस प्रोग्राम की शुरुआत की है. इस कार्यक्रम में राज्य के मुख्यमंत्री पेमा खांडू ने कहा कि अरुणाचल के लोगों को हमने राफ्टिंग, पैराग्लाइडिंग, कार और बाइक रैली, मछली पकड़ने और अन्य एडवेंचर स्पोर्ट्स में कई युवाओं को प्रशिक्षित किया है.
पेमा खांडू ने कहा कि अरुणाचल में लोगों के लिए अनुभव करने के लिए लुभावने पहाड़ और आश्चर्यजनक घाटियों के साथ बहुत कुछ है. सड़कों का विकास तेजी से हो रहा है और नए ट्रेकिंग मार्ग खोले गए हैं. पीएमओ खुद इन गांवों में काम की निगरानी कर रहा है.