भारत LAC पर चलाएगा रोपवे, 90 मिनट की दूरी 16 मिनट में होगी पूरी, जानें पूरा प्‍लान

0 68

नई दिल्‍ली : भारत अरुणाचल प्रदेश में चीन बॉर्डर पर रोपवे चलाने की तैयारी कर रहा है. सड़क परिवहन मंत्रालय ने प्रोजेक्‍ट की स्‍डटी करा ली है और इसी वित्‍तीय वर्ष में काम अवार्ड करने की प्‍लानिंग है. इस प्रोजेक्‍ट से जहां इलाके में पर्यटन में वृद्धि होगी वहीं, सेना को भी बॉर्डर तक पहुंचाने में मदद मिलेगी. देश में कई धार्मिक और पर्यटन स्‍थ्‍लों पर रोपवे का निर्माण किया जा रहा है. अरुणाचल प्रदेश के तवांग से तवांग मोनेस्‍ट्री तक रोपवे चलाया जाएगा. तवांग मोनेस्‍ट्री 17वीं शताब्‍दी की है जो देश की सबसे पुरानी और बड़ी मोनस्‍ट्री में से एक है. यहां पर पर्यटक प्राकृतिक सुंदरता और यहां की सस्‍ंकृ‍ति को देखने के लिए आते हैं. तवांग शहर समुद्रतल से 12000 फुट की ऊंचाई पर है.

रोपवे निर्माण करने वाली नेशलन हाईवे अथारिटी ऑफ इंडिया की कंपनी नेशनल हाईवे लाजिस्टिक मैनेजमेंट (एनएचएलएमएल) के सीईओ प्रकाश गौड़ ने बताया कि तवांग मोनेस्ट्री को कनेक्‍ट करने के लिए 5.15 किमी. लंबा रोपवे का निर्माण कराया जा रहा है. यहां पर मोनोकेबल गंडोला तकनीक का इस्‍तेमाल किया जाएगा. उन्‍होंने बताया कि रोपवे से 90 मिनट के बजाए 16 मिनट में पर्यटक मोनेस्‍ट्री पहुंचेंगे. इस रोपवे की क्षमता 10000 यात्रियों को रोजाना ढोने की होगी. इस प्रोजेक्‍ट के बिड आमंत्रित की गयी है और वित्‍तीय वर्ष 2024 में इसका काम अवार्ड करने की तैयारी है.

तवांग मठ वही हिस्सा है जिसे चीन अपना मानता है. तवांग भारत और चीन के बीच सीमा विवाद में सबसे जटिल मुद्दों में से एक है. भविष्य में संघर्ष के लिए एक संभावित बिंदु यहीं पर है 400 साल पुराना तवांग मठ देश का सबसे बड़ा और एशिया का दूसरा सबसे बड़ा मठ है. जो 10,000 फीट की ऊंचाई पर स्थित है. यह तवांग टाउन से लगभग दो किलोमीटर पास, चीन और भूटान सीमाओं के बहुत करीब है. ये तिब्बती बौद्धों का तीर्थ स्थल है और जो भारत के सबसे बड़े बौद्ध मठ का घर भी होता है.

चीन की हेकड़ी और दादागीरी घटने के बजाय लगातार बढ़ती जा रही है. ऐसे भारत की ये तैयारी चीन की आखों में जरूर खटकेगी. नए रोपवे का मतलब है कि तवांग मठ से झील तक की यात्रा में केवल पांच मिनट लगेंगे. तवांग मठ से तवांग में ग्यांगॉन्ग अनी गोंपा तक पहले से ही एक रोपवे है. जो लगभग 10 किमी दूर स्थित है. नया रोपवे क्षेत्र में पर्यटन को बढ़ावा देगा और पर्यटकों को अरुणाचल प्रदेश के खूबसूरत इलाकों की झलक दिखायेगा. वहीं युद्ध के समय किसी भी इमरजेंसी के मौके पर डिफेंस सेना के काम आएगा.

वहीं दूसरी ओर पीटी त्सो झील तवांग से लगभग 18 किमी दूर 12,000 फीट की ऊंचाई पर स्थित है. इसके साथ ही माधुरी लेक (संगेस्टार त्सो) 36 किलोमीटर दूर है और करीब 15000 फिट से ज्यादा की ऊंचाई पर स्थित है. देखने में ये दोनो ही झील बहुत सुंदर है और रणनीति के हिसाब से बेहद महत्वपूर्ण भी. तवांग सेक्टर से होते हुए पीटी त्सो झील करीब 37 मिनट में और माधुरी लेक तक करीब एक घण्टे में ड्राइव करते हुए पहुंचा जाता है. ये दोनो झीलें एलएसी के बेहद नजदीक बुमला दर्रे के पास हैं. ऐसे में पीएम मोदी की भावी परियोजनाओं के तहत इन दोनों झीलों तक जो LAC के पास हैं इन पर पहुंचने का समय घटकर 5 से 10 मिनट ही रह जायेगा.

 

नोट: अगर आपको यह खबर पसंद आई तो इसे शेयर करना न भूलें, देश-विदेश से जुड़ी ताजा अपडेट पाने के लिए कृपया Vnation के Facebook पेज को LikeTwitter पर Follow करना न भूलें...
Leave A Reply

Your email address will not be published.