‘भारतीय सेना को हमेशा अलर्ट रहना होगा, कारगिल की जंग ने यही सिखाया’, पूर्व थलसेना प्रमुख वीपी मलिक

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नई दिल्ली : कारगिल विजय दिवस पर भारतीय थल सेना के पूर्व प्रमुख जनरल वीपी मलिक ने कहा कि ‘पाकिस्तान हो या चीन, ये कितनी भी मित्रता दिखाएं, हमें (भारतीय सशस्त्र बलों को) को हर समय अलर्ट रहना होगा। कारगिल युद्ध ने यही सिखाया है। कारगिल विजय दिवस समारोह पर भारतीय सेना दो दिवसीय कार्यक्रम में हिस्सा लेने आए पूर्व थलसेना अध्यक्ष वीपी मलिक ने आगे कहा कि ‘हमारे देश की सेना अब पहले से सशक्त हो गई है। कारगिल की सीमा पर बहुत विकास हुआ है।

जनरल वीपी मलिक ने आगे कहा कि कारगिल का युद्ध सबसे चुनौतीपूर्ण इलाके में कठोर मौसम की स्थिति में लड़ा गया था। इसके बावजूद द्रास, कारगिल और बटालिक सेक्टरों में दुश्मन की हार हुई। भारतीय सेना ने युद्ध में टोलोलिंग, टाइगर हिल और प्वाइंट 4875 सहित अन्य रणनीतिक चोटियों पर फिर से कब्जा कर लिया। उन्होंने बताया कि आज कारगिल के आसपास सभी जगह रोड बन गई हैं। सेना को पहुंचने में अधिक समय नहीं लगेगा। जनरल वीपी मलिक ने अपने सैनिकों की शहादत को याद किया।

उन्होंने कहा कि यह जगह मेरे लिए अविस्मरणीय है। मुझे सशस्त्र बलों विशेषकर भारतीय सेना पर गर्व महसूस होता है जिसका मैं उस समय नेतृत्व कर रहा था। जिस तरह से उन्होंने सबसे चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में जमीन पर कब्जा कर लिया, उसने हमारी सेनाओं की वास्तविक प्रकृति को दिखाया। मैं उन लोगों के परिजनों के बीच बहुत सम्मानित महसूस करता हूं जिन्होंने देश के लिए अपना जीवन बलिदान कर दिया। पूर्व थल सेनाध्यक्ष वीपी मलिक ने कहा कि 24 साल में हमारे देश की सेना आत्मनिर्भर बनी है। जवानों के बातचीत के साधन भी हाईटेक हो गए हैं। सीमा तक सेना को पहुंचने में ज्यादा वक्त भी नहीं लगेगा।

युद्ध के दौरान दो परमवीर चक्र पाने वाली बटालियन का नेतृत्व करने वाले लेफ्टिनेंट जनरल (तत्कालीन लेफ्टिनेंट कर्नल) वाईके जोशी (रिटा.) भी इस कार्यक्रम में शामिल हुए। ले. जनरल जोशी ने कारगिल में 13 जम्मू कश्मीर राइफल्स को लीड किया था। वो बटालियन के कमांडिंग ऑफिसर थे। ले. जनरल वाईके जोशी की बटालियन से कैप्टन विक्रम बत्रा को मरणोपरांत और राइफलमैन (अब सूबेदार) संजय कुमार (रिटा.) को परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया था। जनरल जोशी को उनके असाधारण नेतृ्व के लिए वीर चक्र से सम्मानित किया गया था। लेफ्टिनेंट जनरल जोशी ने कहा कि हमने यह युद्ध काफी विषम परिस्थितियों में लड़ा।

उन्होंने आगे बताया कि इलाका बहुत चुनौतीपूर्ण था, तापमान शून्य से नीचे था और ऑक्सीजन की कमी थी। इसके साथ ही गोला-बारूद के पैक के साथ ऐसी चढ़ाई करना और भी कठिन था। दुश्मन को पहाड़ की चोटी पर होने का भी फायदा था, लेकिन हमने हमला किया और उन सभी चोटियों पर फिर से कब्जा किया।

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