मनामा: लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा है कि भारत में मजबूत सहभागी लोकतंत्र और जीवंत बहुदलीय प्रणाली है, जहां नागरिकों की आशाओं और आकांक्षाओं को निर्वाचित प्रतिनिधियों के माध्यम से व्यक्त किया जाता है। बिरला ने अंतर-संसदीय संघ की 146वीं सभा में ‘शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व एवं समावेशी समाजों को बढ़ावा: असहिष्णुता के खिलाफ संघर्ष’ विषय पर अपने विचारों को साझा करते हुए कहा कि कि सभी सदस्यों को लोकसभा में अपने विचार रखने की स्वतंत्रता है।
उन्होंने सभी वैश्विक मुद्दों का समाधान शांतिपूर्ण और बातचीत के जरिए करने वाले भारत के दीर्घकालीन दृष्टिकोण को दोहराते हुए कहा कि भारतीय संसद ने हमेशा जलवायु परिवर्तन, लैंगिक समानता, सतत विकास और कोविड-19 महामारी जैसी समकालीन वैश्विक चुनौतियों पर व्यापक और सार्थक बहस एवं विचार-विमर्श किया है। उन्होंने जोर दिया कि शांति, सद्भाव एवं न्याय की वकालत करने वाले वैश्विक संस्थान शांति, समृद्धि, स्थिरता और न्यायपूर्ण वैश्विक व्यवस्था के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं।
उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद जैसे वैश्विक संगठनों में तेजी से बदलती वैश्विक व्यवस्था की सच्चाई को दर्शाने के लिए कई देशों के बीच सुधार लाने पर व्यापक सहमति बनी है और इस बात को ध्यान में रखते हुए कि इस महत्वपूर्ण विषयों पर गंभीर चर्चा की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि यह बहुत महत्वपूर्ण है कि इस विषय को भविष्य के वैश्विक एजेंडे में शामिल किया जाए जिससे हम जलवायु परिवर्तन, सतत विकास, गरीबी, लैंगिक समानता और आतंकवाद जैसी चुनौतियों से निपटने में ज्यादा से ज्यादा योगदान कर सकें। वैश्विक दायित्वों का निर्वहन करने के लिए भारत की तैयारियों पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा, “हमने कोविड-19 से अपने नागरिकों की रक्षा करने के लिए दुनिया का सबसे बड़ा टीकाकरण कार्यक्रम चलाया है और साथ ही साथ इस महामारी के खिलाफ लड़ाई में अन्य देशों की सहायता की है।”
बिरला ने कहा कि भारत ने हमेशा दुनिया को शांति और सद्भाव का संदेश दिया है और उन्होंने भारत के इस विश्वास को दोहराया कि समावेशी एवं सहिष्णु समाज का निर्माण सिर्फ और सिर्फ शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व, आपसी बातचीत और संवाद से ही संभव हो सकता है तथा इसके लिए सांसदों को निर्णायक भूमिका निभानी है। उन्होंने वैश्विक समुदाय से एक साथ आने का आह्वान किया जिससे मानवता के लिए बेहतर भविष्य का निर्माण किया जा सके।