Indian Student Stuck in UKRAINE : जानिए भारत से यूक्रेन में मेडिकल की पढ़ाई करने क्यों जाते है भारतीय छात्र

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Indian Student Stuck in UKRAINE : जहां एक और दुनिया की नजर रशिया यूक्रेन वॉल पर टिकी हुई है तो वहीं भारत में प्रधानमंत्री द्वारा ऑपरेशन गंगा चलाया जा रहा है जिसके तहत यूक्रेन में फंसे करीब 2000 भारतीय छात्रों को Air India की मदद से वापस लाया जा चुका है। अभी भी करीब 13 हजार छात्रों और नागरिकों को वहां से निकाला बाकी है।
यूक्रेन में फंसे अधिकतर छात्र मेडिकल बैकग्राउंड से हैं। ऐसे में यहां एक Important Question Arise होता है ।कि आखिर भारत से Students यूक्रेन पढ़ने जाते क्यों है? आज की वीडियो में हम आपको यही बताने वाले हैं की भारतीय छात्रों के यूक्रेन में मेडिकल स्टडीज करने के पीछे क्या कारण है।
आपको बता दें यूक्रेन की वेबसाइट यूक्रेन मिनिस्ट्री ऑफ़ एजुकेशन एंड साइंस के मुताबिक, 2021 में 20,000 indians ऐसे हैं ।

जो इंडिया से यूक्रेन गए जिनमे से 18000 भारतीय स्टूडेंट्स है। इसके पीछे का एक सबसे जरूरी कारण है यूक्रेन का हाई क्वालिटी एजुकेशन सिस्टम। यूक्रेन में 6 साल का कोर्स हम 2 मिलियन यानी कि 20 लाख रुपए में कर सकते हैं जो की इंडिया के comparision में काफी कम है। same cources india में करने के लिए स्टूडेंट्स को 50 लाख रूपए लगाने पड़ते है।
दूसरा एक मुख्य रीजन ये भी है की यूक्रेन के Most of the College ko WHO se recognistion मिला हुआ है।

इसके अलावा India में MBBS की Seats limited है और Apply करने वाले बहुत ही ज्यादा।नीट फैकल्टी दीपक गुप्ता के अनुसार, भारत में हर साल लाखों छात्र मेडिकल कोर्स में दाखिले के लिए नीट में भाग लेते हैं। इनके मुकाबले सरकारी कॉलेजों में मात्र 10% उम्मीदवारों को भी एंट्री नहीं मिल पाती है। क्योंकि, भारत में एमबीबीएस की मात्र 88 हजार सीट हैं। आयुष के लिए 57k सीट जबकि बीडीएस की महज 27 हजार 498 सीट हैं। 2021 में करीब 16 लाख छात्रों ने नीट परीक्षा दी थी। इससे साफ होता है कि इनमें से करीब 14.50 लाख छात्रों को दाखिला नहीं मिल पाता। ऐसे में जो students mbbs persue करना चाहते हैं वे other countries जैसे यूक्रेन, रूस को बैकअप में रखते हैं।
Indian Student Stuck in UKRAINE एक बात ये भी ध्यान देने वाली है कि यूक्रेन से एमबीबीएस या बीडीएस की पढ़ाई करने के लिए अलग से नीट जैसी कोई प्रवेश-परीक्षा या डोनेशन आदि नहीं देने पड़ते। यहां साल में दो बार सितंबर और जनवरी में Admission Process शुरू किया जाता है। यहां सिर्फ भारत की नीट परीक्षा को क्वालीफाई करने के बाद ही एडमिशन मिल जाता है, नीट की रैंक कोई मायने नहीं रखती है। इसलिए, जो भारत में admission नहीं ले पाते हैं, उनमें से अधिकांश छात्र यूक्रेन की यूनिवर्सिटीज में admission ले लेते हैं और इनको पढ़ाई पूरी करने के बाद भारत में प्रैक्टिस करने के लिए FMCG परीक्षा पास करनी होती है।

रिर्पोट – मेघा गंगवार

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