समंदर में कामयाबी नापने उतरे, भारत के 3 नए सिकंदर, नौसेना में शामिल हुए ‘त्रिदेव’, टेंशन में ड्रैगन और पाकिस्तान

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मुंबई: नए साल की शुरुआत जहां भारतीय नौसेना के लिए आज एक खूबसुरत ऐतिहासिक पल लेकर आई है। वहीं भारतीय नौसेना की ताकत को आज पंख लग गए हैं। आखिर उसके तीन नए महाबली समुद्र में जो उतर चुके हैं, जो भारत की समुद्री सीमा को अभेद्य बना देंगे।

आज भारतीय नौसेना के युद्धपोतों INS सूरत, INS नीलगिरि और INS वाघशीर को यहां नौसेना की गोदी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उपस्थिति में नौसेना में शामिल किया गया। इस बाबत प्रधानमंत्री मोदी ने बीते मंगलवार को ‘X’ पर एक पोस्ट में कहा था कि, तीन फ्रंटलाइन नौसैनिक युद्धपोतों के नौसेना में शामिल होने से रक्षा क्षेत्र में वैश्विक नेतृत्वकर्ता बनने की भारत की कोशिशों को मजबूती मिलेगी तथा आत्मनिर्भरता की दिशा में प्रयास बढ़ेगा।

इस खास मौके पर PM मोदी ने इस दौरान कहा कि, आज भारत पूरे विश्व और खासकर ग्लोबल साउथ में एक भरोसेमंद और जिम्मेदार साथी के रूप में पहचान बना चुका है। हमारा भारत विस्तारवाद नहीं बल्कि विकासवाद की भावना से काम करता है। यह गर्व की बात है कि यह तीनों अग्रणी नौसैनिक लड़ाकू जहाज भारत में निर्मित हैं। आज का भारत दुनिया में एक प्रमुख समुद्री शक्ति के रूप में उभर रहा है और पहचान बना रहा है।

वहीं नौसेना ने भी इन तीनों बड़े युद्धपोतों के शामिल होने को एक ऐतिहासिक अवसर करार दिया। आईएनएस नीलगिरि परियोजना 17ए स्टील्थ फ्रिगेट श्रेणी का शीर्ष जहाज है जो शिवालिक श्रेणी के युद्धपोतों में महत्वपूर्ण उन्नयन को दर्शाता है।

भारतीय नौसेना के वॉरशिप डिजाइन ब्यूरो द्वारा डिजाइन किए गए और मजगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड (MDL) में निर्मित INS नीलगिरि में उन्नत विशेषताएं हैं। यह आधुनिक विमानन सुविधाओं से परिपूर्ण है तथा MH-60 आर समेत विभिन्न प्रकार के हेलीकॉप्टर का परिचालन कर सकता है। परियोजना 15 B स्टील्थ विध्वंसक श्रेणी का चौथा और अंतिम युद्धपोत INS सूरत कोलकाता श्रेणी के विध्वंसक पोतों की अगली पीढ़ी का सदस्य है। इसके डिजाइन और क्षमता में सुधार किए गए हैं और यह नौसेना के सतह पर रहने वाले बेड़े का महत्वपूर्ण सदस्य है।

इसे भी INS नीलगिरि की तरह वॉरशिप डिजाइन ब्यूरो ने डिजाइन किया है और MDL में इसका विनिर्माण किया गया है। INS वाघशीर स्कॉर्पीन श्रेणी की परियोजना 75 के तहत छठा और अंतिम युद्धपोत है। यह बहुभूमिका वाला डीजल-विद्युत संचालित पोत है। तीनों युद्धपोतों का डिजाइन और निर्माण पूरी तरह भारत में हुआ है और इससे देश की रक्षा उत्पादन क्षेत्र में बढ़ती दक्षता रेखांकित होती है।

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