युगांडा : विदेश मंत्री एस जयशंकर ने मंगलवार को कहा कि भारत जी-20 की अपनी अध्यक्षता का उपयोग वैश्विक आर्थिक विकास के लक्ष्य को पाने के लिए करना चाहेगा। बता दें, विदेश मंत्री युगांडा में भारतीय मामलों पर संसदीय मंच के सदस्यों को संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने इस दौरान कहा कि भारत की जी-20 अध्यक्षता सभी से अलग है क्योंकि किसी ने आज तक ‘ग्लोबल साउथ’ के सभी देशों से परामर्श करने का प्रयास नहीं किया है। लेकिन भारत सभी वैश्विक चिंताओं को इस मंच में रखने का प्रयास करेगा।
उल्लेखनीय है कि ‘ग्लोबल साउथ’ में एशिया, अफ्रीका और दक्षिण अमेरिका के देश आते हैं। ग्लोबल साउथ के देशों को नव औद्योगीकृत या औद्योगीकरण की प्रक्रिया में शामिल देशों के रूप में वर्णित किया जाता है तथा उनमें से ज्यादातार देश उपनिवेश रह चुके हैं।
भारत पिछले साल एक दिसंबर से जी-20 की अध्यक्षता कर रहा है। जी-20 शिखर सम्मेलन इस साल 9-10 सितंबर को नई दिल्ली में आयोजित होगा। इसकी बैठकें 56 शहरों में आयोजित की जा रही हैं, जिसमें भारत के सभी 28 राज्य और 8 केंद्र शासित प्रदेश शामिल हैं।
जी-20 या 20 का समूह दुनिया की प्रमुख विकसित और विकासशील अर्थव्यवस्थाओं का एक अंतर-सरकारी मंच है। इसमें अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, कनाडा, चीन, फ्रांस, जर्मनी, भारत, इंडोनेशिया, इटली, जापान, कोरिया गणराज्य, मैक्सिको, रूस, सऊदी अरब, दक्षिण अफ्रीका, तुर्की, ब्रिटेन, अमेरिका और यूरोपीय शामिल हैं।
जयशंकर ने कहा कि भारत जी-20 की अपनी अध्यक्षता का उपयोग इस मंच को वैश्विक आर्थिक विकास के इसके लक्ष्य और युगांडा के लिए महत्वपूर्ण मुद्दों पर केंद्रित रखने के लिए करना चाहेगा। उन्होंने कहा कि हम चाहेंगे कि जी-20 हरित विकास, ऋण, सतत विकास लक्ष्य, डिजिटल सेवाओं के मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करें।
जयशंकर 10 से 15 अप्रैल तक युगांडा और मोजम्बिक की यात्रा पर हैं। उन्होंने गुट निरपेक्ष आंदोलन की सफल अध्यक्षता के लिए युगांडा को भारत का पूर्ण समर्थन देने का आश्वासन भी जताया।