नई दिल्ली: पाकिस्तान के बाद अब चीन सीमा पर भी रक्षा चुनौतियां बढ़ गई हैं, इसलिए सरकार रक्षा तैयारियों को चुस्त-दुरस्त करने में लगी है। इसका असर रक्षा बजट में भी दिख सकता है। उम्मीद की जा रही है कि रक्षा बजट में करीब 50 हजार करोड़ तक की बढ़ोतरी हो सकती है। नए वर्ष का रक्षा बजट 5.25 लाख करोड़ से बढ़कर 5.75 लाख करोड़ तक पहुंच सकता है। प्रतिशत में यह बढ़ोत्तरी 9-10 फीसदी के बीच रहेगी। रक्षा सूत्रों के अनुसार, सबसे ज्यादा बढ़ोतरी रक्षा आधुनिकीकरण के बजट में होने की संभावना है। चालू वर्ष के दौरान यह 1.52 लाख करोड़ था। इसमें करीब 25-30 हजार करोड़ की वृद्धि का अनुमान लगाया जा रहा है।
पिछले साल आधुनिकीकरण के बजट में करीब 16 हजार करोड़ रुपये की बढ़ोत्तरी हुई थी। यह पिछले बजट से 19 फीसदी अधिक था। इस बार भी यह वृद्धि 20-22 फीसदी रहने के आसार हैं। दरअसल, नए वित्त वर्ष में 126 मल्टी रोल लड़ाकू विमानों की खरीद पर भी निर्णय होने की संभावना है जो वायुसेना के लिए अहम हैं। कई रक्षा सौदे जो अभी प्रक्रिया में हैं, उन पर अमल शुरू होगा जिसके लिए बड़ी राशि के भुगतान की जरूरत होगी।
सबसे ज्यादा चुनौती पेंशन के बढ़ते बजट की रक्षा सूत्रों के अनुसार सबसे ज्यादा चुनौती पेंशन के बढ़ते बजट की है। दरअसल, ओआरओपी लागू होने के बाद इसमें भारी बढ़ोत्तरी हुई है और चालू वर्ष के दौरान यह 1.19 लाख करोड़ है। पिछले साल की तुलना में इसमें तीन हजार करोड़ की बढ़ोत्तरी हुई थी लेकिन इस बार स्थितियां अलग हैं। हाल में भूतपूर्व सैनिकों की पेंशन योजना ओआरओपी में संशोधन हुआ है तथा योजना में 4.52 लाख पूर्व सैनिक और जुड़ चुके हैं। जिससे सालाना 8540 करोड़ रुपये का अतिरिक्त बोझ आएगा जबकि सामान्य बढ़ोत्तरी से भी असर पड़ेगा। इसलिए माना जा रहा है कि पेंशन के बजट में इस साल 20-22 हजार करोड़ तक की बढ़ोत्तरी हो सकती है।
सरकार लगातार रक्षा तकनीकों के देश में निर्माण के मामले में आत्मनिर्भर होने के लिए प्रयास कर रही है। पिछले बजट में यह प्रावधान था कि अनुसंधान के बजट की 25 राशि निजी शोध संस्थानों, स्टार्टअप तथा अकादमियों को दी जाए ताकि देश में रक्षा तकनीकें विकसित की जा सकें। इस योजना के परिणाम अच्छे रहे हैं। इसलिए इस मद में अलग से राशि रखी जा सकती है या फिर मौजूदा सीमा को बढ़ाया जा सकता है।