भारत के एकलौता गांव, जहां हर आदमी के पास है बेशुमार दौलत, जानिए कैसे सूखे की मार झेलकर यह बना सबसे अमीर गांव

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नई दिल्ली: भारत जैसे कृषि प्रधान देश में जहां एक ओर किसान आत्महत्या करते है तो वही दूसरी ओर कुछ किसान अत्याधुनिक कृषि प्रणाली और उर्वरक खाद्य का इस्तेमाल कर करोड़पति है। जी हां, ये सच है। आज हम एक ऐसे गांव के बारे में बताने जा रहे है जहां के किसान उन्नत खेती कर करोड़पति है। महाराष्ट्र भले ही सूखा प्रभावित राज्य है लेकिन यहां पर एक ऐसा भी गांव है जहां लोगों ने अपनी किस्मत खुद बदली है। यहां की आबादी 300 लोगों से ज्यादा है, जिसमें से 80 से ज्यादा लोग करोड़पति हैं। वैसे कहा जाता है कि इस राज्य में सबसे ज्यादा सूखा पडता है।

सूखे के कारण हर साल महाराष्ट्र समेत देश के कई राज्यों के सैकड़ों खेतिहर (किसान) सूखा, आर्थिक तंगी, प्राकृतिक आपदा से तंग आकर आत्महत्या कर लेते है। लेकिन महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले का हिवरे बाजार गांव इन सब से अलग है। यहां के किसान आत्महत्या नहीं करते बल्कि अच्छी और उन्नत खेती कर करोड़पति है। हिवरे बाजार गांव के किसानों के करोड़पति होने के पीछे भी एक रोचक कहानी है। दरअसल 1990 में यहां 90 फीसदी परिवार गरीब थे। हिवरे बाजार 80-90 के दशक में भयंकर सूखे से जूझ रहे थे। गांव में महज 93 कुएं ही थे। पीने तक के लिए पानी नहीं बचा। कुछ लोग अपने परिवारों के साथ दूसरी जगहों पर चले गए। पानी का स्तर भी 82-110 फीट नीचे पहुंच गया था। फिर लोगों ने खुद को बचाने की कवायद शुरू की।

सूखे से निपटने के लिए 1990 में ज्वाइंट फॉरेस्ट मैनेजमेंट एक कमेटी बनाई गई। इसके तहत गांव में कुआं खोदने और पेड़ लगाने का काम श्रमदान के जरिए शुरू किया गया। इस काम में, महाराष्ट्र इम्प्लॉयमेंट गारंटी स्कीम के तहत फंड मिला, जिससे काफी मदद मिली। साल 1994-95 में आदर्श ग्राम योजना आई, जिसने इस काम को और रफ्तार दे दी।

.कमेटी ने गांव में उन फसलों को बैन कर दिया, जिनमें ज्यादा पानी की जरूरत थी। अब गांव में 340 कुएं है। ट्यूबवेल खत्म हो गए हैं और जमीन का वाटर लेवल भी 30-35 फीट पर आ गया है। यहां सभी लोगों की मुख्य आय खेती से ही होती है। यहां के लोग सब्जी उगाकर ज्यादातर कमाई करते हैं। हर साल इनकी आय बढ़ रही है। खेती के जरिए जहां 80 परिवार करोड़पति के दायरे में आ गए हैं। वहीं, 50 से अधिक परिवारों की सालाना इनकम 10 लाख रुपए से ज्यादा है। गांव की प्रति व्यक्ति आय देश के टॉप 10 प्रतिशत ग्रामीण क्षेत्रों के औसत आय (890 रुपए प्रति माह) की दोगुनी है। यानी पिछले 15 वर्षों में औसत आय 20 गुनी हो गई है।

पीएम नरेंद्र मोदी ने अपने रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ में हिवरे बाज़ार की तारीफ करते हुए कहा था कि पानी का मूल्य क्या है, वो तो वही जानते हैं, जिन्होनें पानी की तकलीफ झेली है। और इसलिए ऐसी जगह पर, पानी के संबंध में एक संवेदनशीलता भी होती है और कुछ-न-कुछ करने की सक्रियता भी होती है।

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