बेंगलुरू : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को भारतीय अंतरिक्ष संगठन (इसरो) के वैज्ञानिकों से कहा कि देश का अंतरिक्ष उद्योग अगले कुछ वर्षों में आठ अरब डॉलर से बढ़कर 16 अरब डॉलर तक पहुंच जाएगा। मोदी ने इसरो के वैज्ञानिकों को अपने संबोधन में यह भी कहा कि भारत की नवप्रवर्तन की भावना 2047 में विकसित राष्ट्र के सपने को साकार करेगी।
मोदी ने यूनान से लौटने के बाद यहां इसरो टेलीमेट्री ट्रैकिंग एंड कमांड नेटवर्क (आईएसटीआरएसी) में सफल चंद्रयान -3 मिशन के लिए इसरो वैज्ञानिकों को शुभकामनाएं देते हुए विशेषज्ञों के अनुमान का हवाला देते यह बात कही।
प्रधानमंत्री ने कहा, “देश के लोगों को वैज्ञानिकों पर भरोसा है और जब लोगों का आशीर्वाद मिलेगा, तो देश के प्रति दिखाए गए समर्पण से भारत विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में वैश्विक गुरु की तरह उभरकर सामने आयेगा। नवाचार की हमारी यही भावना देश के सपनों को साकार करेगी और 2047 में एक विकसित भारत का सपना साकार होगा।’
उन्होंने कहा कि सरकार अंतरिक्ष क्षेत्र में सुधारों के लिए लगातार काम कर रही है और भारत के युवा निरंतर प्रयासरत हैं। देश में पिछले चार वर्षों में अंतरिक्ष से संबंधित स्टार्टअप की संख्या 04 से बढ़कर लगभग 150 तक पहुंच गई है। प्रधानमंत्री ने कहा कि अंतरिक्ष क्षेत्र की क्षमताएं उपग्रहों को लॉन्च करने और अंतरिक्ष अन्वेषण तक सीमित नहीं हैं और इसकी ताकत जीवन की सुगमता और सरकार की सुगमता में देखी जा सकती है।
उन्होंने नेविगेशन विथ इंडियन कॉन्स्टेलशन (नाविक) प्रणाली की भूमिका और प्राकृतिक आपदाओं के दौरान इसके समर्थन के बारे में भी बात की। मोदी ने कहा कि अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी हमारे पीएम गतिशक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान का भी आधार है। इससे परियोजनाओं की योजना, कार्यान्वयन और निगरानी में बहुत मदद मिल रही है। अंतरिक्ष अनुप्रयोग का यह दायरा, जो समय के साथ बढ़ रहा है, हमारे युवाओं के लिए अधिक अवसर प्रदान कर रहा है।
प्रधानमंत्री ने अनुरोध किया कि इसरो केंद्र और राज्य सरकारों के विभिन्न विभागों के सहयोग से ‘शासन में अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी’ पर राष्ट्रीय हैकथॉन आयोजित करें। उन्होंने कहा, “मुझे विश्वास है कि यह राष्ट्रीय हैकथॉन हमारे शासन को और अधिक प्रभावी बनाएगा और हमारे देशवासियों को आधुनिक समाधान प्रदान करेगा।”
मोदी ने देश की युवा पीढ़ी को एक टास्क भी दिया. “मैं चाहता हूं कि नई पीढ़ी भारत के धर्मग्रंथों में मौजूद खगोलीय सूत्रों को वैज्ञानिक ढंग से सिद्ध करने और उनका नए सिरे से अध्ययन करने के लिए आगे आए। जो हमारी विरासत के लिए भी महत्वपूर्ण है और विज्ञान के लिए भी। उन्होंने कहा कि आज एक तरह से यहां के स्कूल, कॉलेज और विश्वविद्यालय, छात्रों के लिए यह दोहरी जिम्मेदारी है।
प्रधानमंत्री ने कहा, “भारत के पास गुलामी के लंबे कालखंड में वैज्ञानिक ज्ञान का जो खजाना था, वह जमीन में दबा हुआ है। आजादी के अमृत काल में हमें इस खजाने को भी खोजना है, इस पर शोध भी करना है और दुनिया को इसके बारे में बताना भी है। मोदी ने देश भर के छात्रों से 01 सितंबर से चंद्रयान मिशन पर एक विशाल प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता में भाग लेने का भी आग्रह किया।