इश्क में ‘घर की रही न घाट की’… जिस प्रेमी के खातिर छोड़ा था पति, लिव-इन में रहने के बाद उसी ने दे दिया धोखा
मुजफ्फरपुर: प्यार में धोखे की कहानियां अक्सर सामने आती रहती हैं। लोग जिसे प्यार समझते हैं, अक्सर वो छलावा निकलता है। कई बार प्यार में मिला धोखा इंसान को कहीं का नहीं छोड़ता। एक महिला ने अपने पति को छोड़ प्रेमी के पास पहुंच गई, उसने भी उसका साथ छोड़ दिया। अब महिला प्रेमी की पत्नी से ही इंसाफ मांग रही है। अब महिला प्रेमी के घर पर जाकर बैठ गई। यह कहानी है मुजफ्फरपुर के औराई थाना क्षेत्र के एक गांव की रहने वाली शादीशुदा महिला की। शादी के 15 साल बाद उसे गांव के ही जितेंद्र साह से प्यार हो गया। प्रेमी ने उसे तरह-तरह के सपने दिखाए। इसके बाद प्रेमिका ने अपने पति को छोड़ा और अपने प्रेमी के साथ रहने का निर्णय लिया। दोनों ने भागकर एक बंद कमरे में शादी रचा ली। फिर पति-पत्नी की तरह रहने लगे। वहीं अब प्रेमी उसे अपनाने से इनकार कर रहा है। महिला प्रेमी के घर जाकर बैठ गई है। और प्रेमी की पत्नी से इंसाफ मांग रही है।
मिली जानकारी के मुताबिक, पूनम देवी और दीपक साह की 2008 में शादी हुई थी। दोनों का खुशमय जीवन कट रहा था, दो बेटे भी हुए। दीपक मुंबई में ड्राइवरी करता था। उसी बीच ग्रुप लोन के जरिए रोजगार के लिए पूनम ने पैसे उठाए। हर महीने किस्त भरने लगी। इसी दौरान जितेन्द्र से उसकी बातचीत शुरू हो गई। बातचीत होते-होते दोनों काफी करीब आ गए। बच्चों को मां की इस गंदी हरकत पर नजर पड़ गई। बच्चों ने इसकी जानकारी अपने पिता को दे दी।
लोकलाज की वजह से किसी को ना बताते हुए पति ने सभी को पटना में किराए के मकान में शिफ्ट कर दिया। जितेंद्र साह लगातार पीछा करता रहा। मोबाइल फोन के जरिए पहले सब्जी मार्केट में दोनों ने मुलाकात की। और एक दिन भाग कर शादी कर ली। फिर दोनों पति-पत्नी की तरह रहने लगे। जब मन भर गया तो किराए के मकान में अकेला छोड़कर जितेन्द्र फरार हो गया।
अब न्याय के लिए कभी समाज के चौखट पर तो कभी जनप्रतिनिधि के चौखट पर जाकर लगातार न्याय के लिए मिन्नतें कर रही है, लेकिन महिला की फरियाद सुनने के लिए कोई सामने नहीं आ रहा है। पूनम देवी ने बताया कि हम दोनों भागकर शादी भी कर ली थी। 20 दिन पति-पत्नी की तरह रहे। पत्नी की तबीयत खराब होने का बहाना बनाकर वो घर चला आया। पहला पति भी अब उसे पहचानने से इनकार कर रहा है। अब समझ में नहीं आ रहा है कि मैं क्या कंरू, कहां जाऊं।