नई दिल्ली: चंद्रयान-3 के रूप में भारत को ऐतिहासिक सफलता दिलाने वाले इसरो प्रमुख एस सोमनाथ की विदाई का समय आ गया है। उनका कार्यकाल 14 जनवरी को समाप्त हो रहा है। मंगलवार को सरकार ने भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन के नए चीफ की भी घोषणा कर दी है। आधिकारिक ऐलान के मुताबिक डॉ. वी नारायणन यह पद संभालने जा रहे हैं। डॉ. वी नारायणन विज्ञान के क्षेत्र में बड़ा नाम हैं।
डॉ. वी नारायणन ने एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में पीएचडी की है। फिलहाल वे एलपीएससी यानी लिक्विड प्रोपल्शन सिस्टम सेंटर के निदेशक हैं। भारतीय अंतरिक्ष संगठन में अपने चार दशक से अधिक के अनुभव के दौरान उन्होंने कई महत्वपूर्ण पदों पर काम किया है। बताया जाता है कि वे रॉकेट और अंतरिक्ष यान प्रणोदन के विद्वान हैं। उनकी उपलब्धियों में जीएसएलवी एमके 3 व्हीकल का सी-25 क्रायोजेनिक परियोजना शामिल है। वे इसके परियोजना निदेशक थे।
साल 1984 में हुई थी इसरो में एंट्री
एलपीएससी के अनुसार डॉ. नारायणन वर्ष 1984 में इसरो में आए थे। शुरुआत में करीब साढ़े चार साल तक उन्होंने विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र में साउंडिंग रॉकेट, संवर्धित उपग्रह प्रक्षेपण यान और ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान के ठोस प्रणोदन क्षेत्र में काम किया। उन्होंने वर्ष 1989 में आईआईटी खड़गपुर से क्रायोजेनिक इंजीनियरिंग में एमटेक किया। वे प्रोजेक्ट मैनेजमेंट काउंसिल-स्पेस ट्रांसपोर्टेशन सिस्टम (पीएमसी-एसटीएस) के अध्यक्ष भी हैं।
मुहैया कराए 190 लिक्विड प्रोपल्शन सिस्टम
खास बात यह है कि पीएमसी-एसटीएस प्रक्षेपण यान परियोजनाओं और कार्यक्रमों के बारे में फैसले लेता है। वे गगनयान के लिए एचआरसीबी यानी ह्यूमन रेटेड सर्टिफिकेशन बोर्ड के अध्यक्ष भी हैं। डॉ. नारायणन के नेतृत्व में एलपीएससी ने इसरो के कई मिशनों के लिए 190 लिक्विड प्रोपल्शन सिस्टम और कंट्रोल पावर प्लांट मुहैया कराए हैं।
मिशन, चंद्रयान-2 और चंद्रयान-3 में दिया योगदान
उन्होंने आदित्य अंतरिक्ष यान और जीएसएलवी मार्क-3 मिशन, चंद्रयान-2 और चंद्रयान-3 के प्रोपल्शन सिस्टम में भी योगदान दिया। आईआईटी खड़गपुर से रजत पदक के अलावा उन्हें एएसआई यानी एस्ट्रोनॉटिकल सोसाइटी ऑफ इंडिया से स्वर्ण पदक और एनडीआरएफ से राष्ट्रीय डिजाइन पुरस्कार समेत 25 पुरस्कार मिल चुके हैं।
एस सोमनाथ ने अंतरिक्ष में रचा इतिहास
इसरो के मौजूदा प्रमुख एस सोमनाथ ने जनवरी 2022 में एजेंसी के प्रमुख का पदभार संभाला था। उनके नेतृत्व में भारत अमेरिका, सोवियत संघ और चीन के बाद चांद की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग करने वाला दुनिया का चौथा देश बन गया। 23 अगस्त 2023 को भारत ने चांद के दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग की। फिलहाल भारत अंतरिक्ष में इंसानों को भेजने की तैयारी कर रहा है।