नईदिल्ली: चांद पर कदम जमाने के बाद और सूर्य की तरफ आदित्य-L1 मिशन भेजने के बाद अब ISRO की तैयारी देश के पहले ह्यूमन स्पेसफ्लाइट मिशन को सफल बनाने की है. इसरो अक्टूबर में गगनयान (Gaganyaan) की पहली मानवरहित उड़ान की तैयारी करने जा रहा है. उससे पहले कई तरह की तैयारियां करनी हैं.
ISRO के पास जो भारी-भरकम LVM-3 रॉकेट हैं. उसे अभी क्रू मॉड्यूल ढोने लायक बनाना है. उसे पूरी तरह से ह्यूमन रेटेड करना है. इंडिया टुडे से एक्सक्लूसिव बातचीत के दौरान श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर (SDSC-SHAR) के डायरेक्टर ए. राजराजन ने गगनयान को लेकर चल रही तैयारियों के बारे में बताया.
राजराजन ने बताया कि सबसे जरूरी है LVM-3 को H-LVM3 में बदलना. ताकि धरती के चारों तरफ 400 km वाली गोलाकार ऑर्बिट में क्रू मॉड्यूल को पहुंचा सके. उन्होंने बताया कि यहां पर H का मतलब ह्यूमन रेटेड है. बाद में इस रॉकेट का नाम HRLV होगा. यानी ह्यूमन रेटेड लॉन्च व्हीकल. इस रॉकेट में फेल्योर से ज्यादा सुरक्षा पर ध्यान दिया जाएगा. जैसे क्रू एस्केप सिस्टम. यानी किसी भी तरह का खतरा होने पर क्रू मॉड्यूल हमारे एस्ट्रोनॉट्स को लेकर सुरक्षित वापस आ जाए. रॉकेट में गड़बड़ी होने पर उसके किसी भी स्टेज से दूर ले जाकर एस्ट्रोनॉट्स को सेफ रखे. अगर किसी तरह की इमरजेंसी आती है तो क्रू मॉड्यूल एस्ट्रोनॉट्स को लेकर समुद्र में गिर जाएगा.
इसरो के वैज्ञानिकों ने चार से पांच अलग-अलग तरह के खतरों पर काम किया है. ताकि इन खतरों से क्रू मॉड्यूल हमारे गगननॉट्स को बचा सके. हर खतरे पर क्रू मॉड्यूल अलग तरह से रिएक्ट करेगा. वह ऊंचाई और गति भी खुद नियंत्रित करके एस्ट्रोनॉट्स को सुरक्षित वापस जमीन पर लाएगा. ISRO अभी गगनयान के क्रू मॉड्यूल के हाई-एल्टीट्यूड ड्रॉप टेस्ट करवा रहा है. पैड एवॉयड टेस्ट करवा रहा है. जिसमें क्रू एस्केप सिस्टम रॉकेट से अलग होकर 2 किलोमीटर दूर जाकर गिरेगा. अभी टेस्ट व्हीकल प्रोजेक्ट बी है. जिसमें जीएसएलवी बूस्टर यानी L-40 इंजनों की जांच होनी है. क्योंकि क्रू मॉड्यूल रॉकेट के ऊपर लगाया जाएगा.
यह इंजन क्रू मॉड्यूल को 10 किलोमीटर की ऊंचाई से सुरक्षित वापस लाएगा. इसकी जांच अभी होनी बाकी है. इसके बाद ही गगनयान के दो अगले लॉन्च मिशन होंगे. ऑर्बिटल मॉड्यूल की तैयारियों के लिए हम अलग से फैसिलिटी बना रहे हैं. क्योंकि इसका अपना सर्विस मॉड्यूल होगा. इन दोनों को एकसाथ असेंबल करना होगा. इसलिए अलग फैसिलिटी की जरूरत है. यहां पर सभी मॉड्यूल्स की जांच, जुड़ाव और टेस्टिंग होगी. असेंबलिंग एरिया में अलग क्लीन रूम भी बनवाया जा रहा है. ताकि क्रू मॉड्यूल की सेहत पर नजर रखी जा सके. गगनयान के लिए अलग से कंट्रोल फैसिलिटी बन रही है, जहां पर सभी गगननॉट्स, क्रू मॉड्यूल और लॉन्च व्हीकल की सेहत पर नजर रखी जाएगी. सुधार किया जाएगा. हम इसके लिए पुरानी लॉन्च व्हीकल फैसिलिटी को ठीक कर रहे हैं. जिसे LCC नाम दिया गया है.
क्रू मॉड्यूल के लिए एनवायरमेंटल कंट्रोल सिस्टम पहुंच चुका है. उसकी जांच-पड़ताल लगातार LCC में हो रही है. इसके अंदर तापमान 25 से 27 डिग्री सेंटीग्रेड बनाए रखना जरूरी है. इसके अंदर पानी का जमावड़ा न हो. यहां एस्ट्रोनॉट जो कार्बन डाईऑक्साइड छोड़े उसका बाहर निकलना जरूरी है. अंदर ऑक्सीजन और नाइट्रोजन का संतुलन जरूरी है. गगननॉट्स के सूट ऐसे होने चाहिए कि इमरजेंसी में वो ऑक्सीजन सप्लाई कर सकें.