आबादी बढ़ाने के लिए जापान सरकार ने ढूंढा नया हल, अब सप्ताह में सिर्फ चार दिन करना होगा काम

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टोक्यो: जापान जो पहले से ही दुनिया के सबसे विकसित देशों में शामिल है, अब अपने देश में बढ़ती जन्म दर की समस्या से जूझ रहा है। पिछले कुछ दशकों से जापान में बच्चों का जन्म दर लगातार गिरता जा रहा है, और इस स्थिति से निपटने के लिए जापान की सरकार ने एक नई पहल शुरू की है। इस पहल के तहत, टोक्यो में कर्मचारियों को सप्ताह में तीन दिन की छुट्टी देने का प्रस्ताव किया गया है, ताकि वे अपने पारिवारिक जीवन और कामकाजी जीवन के बीच बेहतर संतुलन बना सकें।

सप्ताह में सिर्फ चार दिन काम करने का विकल्प
टोक्यो गवर्नर युरिको कोइके ने हाल ही में घोषणा की कि अगले साल, यानी 2024 से, टोक्यो में कर्मचारियों को एक सप्ताह में चार दिन काम करने का विकल्प मिलेगा। इस योजना का मुख्य उद्देश्य यह है कि जापान में प्रजनन दर में सुधार लाया जा सके, क्योंकि देश में कामकाजी महिलाएं बच्चों को जन्म देने और उनके पालन-पोषण के लिए अक्सर अपने करियर को छोड़ने को मजबूर हो जाती हैं। इस नई योजना के तहत कर्मचारियों को यह विकल्प मिलेगा कि वे सप्ताह में तीन दिन का अवकाश ले सकें और अपने परिवार पर अधिक समय दे सकें, जिससे बच्चे पैदा करने का दबाव कम हो सके। गवर्नर कोइके ने कहा कि इस पहल का उद्देश्य जापानी जोड़ों को बच्चों के जन्म के लिए प्रोत्साहित करना है, ताकि वे अपने कामकाजी जीवन और परिवारिक जीवन के बीच संतुलन बनाए रख सकें। यह कदम समाज में एक बड़ा बदलाव लाने का प्रयास है, जहां कामकाजी महिलाएं और पुरुष दोनों अपने परिवार को प्राथमिकता देते हुए अपने करियर को भी बनाए रख सकें।

क्यों जरूरी है यह कदम?
पिछले कुछ वर्षों से जापान में प्रजनन दर में गिरावट आई है। 2022 में, जापान में जन्म दर सिर्फ 727,277 दर्ज की गई, जो देश की कुल जनसंख्या के मुकाबले बेहद कम है। इसके कारणों में एक प्रमुख कारण है जापान की ओवरटाइम वर्क कल्चर, जिसमें कर्मचारियों को लंबे समय तक काम करना पड़ता है और इसके कारण उनके पास परिवार की देखभाल करने का समय नहीं होता। वर्ल्ड बैंक के आंकड़ों के मुताबिक, जापान में महिलाओं की रोजगार में भागीदारी 55% है, जबकि पुरुषों की यह दर 72% है, जो अन्य विकसित देशों से काफी कम है। इसके अलावा, महिला कर्मचारियों को अक्सर परिवार और करियर के बीच चयन करना पड़ता है, जो कई बार उन्हें अपने करियर को छोड़ने के लिए मजबूर करता है। इस तरह की सामाजिक और कार्यात्मक चुनौतियों के कारण जापान में जन्म दर में गिरावट आई है।

लचीलापन और कामकाजी शर्तों में बदलाव
गवर्नर कोइके का कहना है कि इस नई नीति में लचीलापन लाने की कोशिश की जा रही है, जिससे माता-पिता को अपने बच्चों के पालन-पोषण में दिक्कत न हो और वे अपने करियर को भी बनाए रखें। इसके साथ ही, इस नीति के तहत काम करने वाले माता-पिता को उनकी आय में संतुलित कटौती का विकल्प मिलेगा। यह नीति विशेष रूप से उन माता-पिता के लिए फायदेमंद होगी जिनके बच्चे प्राथमिक विद्यालय में हैं। इस योजना के तहत, उन्हें सप्ताह में कम घंटे काम करने का विकल्प मिलेगा, जिससे वे अपने बच्चों के साथ अधिक समय बिता सकेंगे। इस प्रकार, यह कदम परिवारों के लिए एक बड़ा राहत है, क्योंकि वे अपने बच्चों की देखभाल के साथ-साथ काम भी कर सकेंगे।

वैश्विक स्तर पर कामकाजी सप्ताह का अनुभव
इस योजना का असर सिर्फ जापान तक ही सीमित नहीं रहेगा। 2022 में, 4 डे-वीक ग्लोबल ने चार दिन काम करने के सप्ताह का परीक्षण किया था। इस परीक्षण में भाग लेने वाले कर्मचारियों के 90% से अधिक ने इसे अपनाने की इच्छा जताई थी, क्योंकि उन्होंने पाया कि इससे उनकी कार्य-जीवन संतुलन में सुधार हुआ। इसके बाद, अन्य देशों जैसे सिंगापुर ने भी लचीले कामकाजी घंटों और चार दिन के कामकाजी सप्ताह की दिशा में कदम बढ़ाए हैं।

जापान में जन्म दर और आर्थिक स्थिति
जापान में जन्म दर की गिरावट न केवल सामाजिक समस्या है, बल्कि यह देश की आर्थिक स्थिति को भी प्रभावित कर रही है। बढ़ती उम्र की जनसंख्या और कम जन्म दर के कारण जापान में श्रमिकों की कमी हो रही है, जिससे देश की विकास दर पर असर पड़ रहा है। यह समस्याएं और भी गंभीर हो सकती हैं यदि इसे जल्द हल नहीं किया गया। सरकार के इस प्रयास से समाज में बच्चों के जन्म को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है, जो आने वाले वर्षों में जापान के विकास के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है। जापान सरकार का यह कदम एक बड़ी सामाजिक और कार्यात्मक परिवर्तन का हिस्सा है। इसमें कर्मचारियों को ज्यादा समय देने का विकल्प मिल रहा है, ताकि वे बच्चों के पालन-पोषण के दौरान अपने करियर को भी बनाए रख सकें। इस नीति का उद्देश्य केवल जन्म दर में वृद्धि करना नहीं है, बल्कि यह एक बड़ा सामाजिक बदलाव है, जो परिवारों को अपने व्यक्तिगत और पेशेवर जीवन में संतुलन बनाए रखने का मौका देता है।

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