सोशल मीडिया मंचों को ‘गैरकानूनी जानकारी’ हटाना आवश्यक, अभिषेक बनर्जी के सवाल पर जितिन प्रसाद का जवाब
नई दिल्लीः इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री जितिन प्रसाद ने बुधवार को लोकसभा में कहा कि सोशल मीडिया मंचों को किसी अदालत के आदेश या सरकार या उसकी अधिकृत एजेंसी द्वारा नोटिस के माध्यम से उनके संज्ञान में लाई गई किसी भी ‘‘गैरकानूनी जानकारी” को हटाना आवश्यक है। प्रसाद ने तृणमूल कांग्रेस के सदस्य अभिषेक बनर्जी के एक सवाल के लिखित जवाब में यह जानकारी दी।
बनर्जी ने सरकार से पिछले तीन वर्षों के दौरान ‘एक्स’ (पूर्व में ट्विटर) और ‘मेटा’ जैसे सोशल मीडिया मंचों को भेजे गए नोटिस की संख्या का विवरण उपलब्ध कराने को कहा था। उन्होंने मंत्री से इन नोटिस के परिणामों और प्रभावों की समीक्षा के लिए किये गए उपायों के बारे में भी पूछा था।
प्रसाद ने अपने जवाब में कहा कि सरकार की नीतियों का उद्देश्य ‘‘अपने उपयोगकर्ताओं के लिए सुरक्षित, विश्वसनीय और जवाबदेह इंटरनेट सुनिश्चित करना है, साथ ही यह सुनिश्चित करना है कि इंटरनेट किसी भी तरह की गैरकानूनी सामग्री या सूचना से मुक्त रहे।” उन्होंने कहा कि सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 के तहत, सरकार ने सूचना प्रौद्योगिकी (मध्यस्थ दिशानिर्देश और डिजिटल मीडिया आचार संहिता) नियम, 2021 (आईटी नियम) को अधिसूचित किया है, जिसमें सोशल मीडिया मंचों पर अपने कर्तव्यों का निर्वहन करने के दौरान विशिष्ट दायित्व सौंपे गए हैं।
उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया मंचों को किसी भी गैरकानूनी जानकारी को हटाने की भी आवश्यकता है, जब भी उन्हें अदालत के आदेश के माध्यम से या किसी सरकार या उसकी अधिकृत एजेंसी द्वारा नोटिस के माध्यम से जानकारी मिलती हो।” मंत्री ने अपने उत्तर में कहा कि गैरकानूनी सूचना में भारत की संप्रभुता और अखंडता, राज्य की सुरक्षा, अन्य देशों के साथ मैत्रीपूर्ण संबंध, लोक व्यवस्था, शालीनता या नैतिकता के हित में किसी भी कानून के तहत निषिद्ध सूचना शामिल है।
इसमें ऐसी सूचना भी शामिल है जो न्यायालय की अवमानना, मानहानि, उपरोक्त से संबंधित किसी अपराध के लिए उकसाने या कानून के तहत निषिद्ध किसी अन्य सूचना से संबंधित हो सकती है। तृणमूल कांग्रेस के एक सूत्र के अनुसार, पार्टी मंत्री के जवाब से संतुष्ट नहीं है और इस मुद्दे पर वह लोकसभा अध्यक्ष को पत्र लिखेगी।