#JsticeforLavanya : नहीं, आप न्याय नहीं मांग सकते; न्याय की मांग करने वालों को तमिलनाडु पुलिस ने उठाया
यह मामला #JsticeforLavanya से नज़र में आया है जब तमिलनाडु में ईसाई धर्म परिवर्तन का विरोध करने के लिए स्कूल मिशनरियों द्वारा लावण्या (#JsticeforLavanya) नाम की एक छात्रा को इतना प्रताड़ित किया गया कि उसे आत्महत्या करने के लिए मजबूर होना पड़ा. अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) इस मामले में लगातार आवाज उठा रही है और उसके पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं ने तमिलनाडु में विरोध प्रदर्शन किया.
एबीवीपी ने आरोप लगाया कि लावण्या आत्महत्या मामले में प्रदर्शन कर रहे उसके कार्यकर्ताओं को तमिलनाडु पुलिस ने गिरफ्तार किया है. गिरफ्तार किए गए एबीवीपी कार्यकर्ताओं में संगठन की राष्ट्रीय महासचिव निधि त्रिपाठी भी शामिल हैं. ये सभी लावण्या आत्महत्या मामले को लेकर चेन्नई में विरोध प्रदर्शन कर रहे थे.
एबीवीपी ने कहा कि कार्रवाई राज्य के सत्तारूढ़ ‘द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (DMK)’ के इशारे पर की गई. एबीवीपी ने कहा, “हम डीएमके के नेतृत्व वाली सरकार द्वारा की गई इस कार्रवाई की निंदा करते हैं. आप हमारी आवाज को दबाने के लिए पुलिस का इस्तेमाल नहीं कर सकते. जब तक लावण्या को न्याय नहीं मिलता, हम यह लड़ाई लड़ते रहेंगे.” निधि सहित अन्य एबीवीपी कार्यकर्ता त्रिपाठी ने तमिलनाडु सरकार का पुतला फूंका. गिरफ्तारी को “अवैध” बताते हुए, मंगलवार (15 जनवरी, 2022) को चाणक्यपुरी, नई दिल्ली में कौटिल्य मार्ग पर ‘तमिलनाडु हाउस’ के सामने एक विरोध प्रदर्शन की योजना बनाई गई है. .
एबीवीपी ने इसे द्रमुक सरकार का असंवेदनशील और तानाशाही रवैया बताते हुए कहा कि वह इसकी कड़ी निंदा करती है. ये लोग सीएम एमके स्टालिन के घर के बाहर प्रदर्शन कर रहे थे. वहीं सुप्रीम कोर्ट ने लावण्या आत्महत्या मामले में मद्रास हाईकोर्ट के फैसले में दखल देने से इनकार कर दिया है.
लावण्या आत्महत्या मामले की सीबीआई से जांच कराने के मद्रास उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती देते हुए तमिलनाडु सरकार ने शीर्ष अदालत का रुख किया था. शीर्ष अदालत ने तमिलनाडु सरकार से इस मामले को “प्रतिष्ठा का मामला” नहीं बनाने के लिए भी कहा. कोर्ट ने यह भी कहा कि ‘इस मामले में बहुत कुछ हुआ है, जांच जरूरी है.’ रिपोर्ट – रुपाली सिंह