‘जज अपना फैसला सुनाएं, उपदेश न दें’, जानें हाईकोर्ट के किस फैसले पर भड़क गया सुप्रीम कोर्ट

0 70

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को एक मामले में कलकत्ता हाईकोर्ट के फैसले को रद्द कर दिया और फैसले में जजों की ओर से की गई टिप्पणी पर भी आपत्ति जताई. कलकत्ता हाईकोर्ट ने यौन उत्पीड़न के एक आरोपी को बरी करने का फैसला सुनाते हुए किशोरियों को यौन इच्छाओं पर नियंत्रण रखने की सलाह भी दी थी. सुप्रीम कोर्ट ने इन टिप्पणियों को आपत्तिजनक करार देते हुए कहा कि जजों को फैसला सुनाना चाहिए, उपदेश नहीं देने चाहिए.

जस्टिस अभय एस ओका और जस्टिस उज्जल भुइयां ने कहा कि बेंच ने यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (POCSO) अधिनियम के तहत दर्ज मामलों से निपटने के लिए प्राधिकारियों को कई दिशा-निर्देश जारी किए हैं. पीठ की तरफ से फैसला सुनाने वाले जस्टिस अभय एस ओका ने कहा कि अदालतों को फैसला किस तरह से लिखना चाहिए, इस संबंध में भी दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा, ‘निसंदेह, अदालतें पक्षों को लेकर टिप्पणी कर सकती हैं, लेकिन वह सीमित होनी चाहिए. फैसले में जजों की व्यक्तिगत राय शामिल नहीं होनी चाहिए.’ बेंच ने कहा कि जजों को फैसले देने चाहिए, उपदेश नहीं. कोर्ट ने कहा, ‘जजमेंट में अनावश्यक चीजें नहीं होनी चाहिए. जजमेंट की भाषा सरल होनी चाहिए. कोर्ट के फैसले थीसिस या लिटरेचर नहीं होना चाहिए, लेकिन इस फैसले में जजों की ओर से युवाओं के लिए उनकी व्यक्तिगत राय शामिल थी.’

नोट: अगर आपको यह खबर पसंद आई तो इसे शेयर करना न भूलें, देश-विदेश से जुड़ी ताजा अपडेट पाने के लिए कृपया Vnation के Facebook पेज को LikeTwitter पर Follow करना न भूलें...
Leave A Reply

Your email address will not be published.