कोलकाता । कोलकाता स्थित प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की एक विशेष अदालत ने बुधवार को शिक्षकों की अवैध भर्ती मामले में पश्चिम बंगाल के पूर्व शिक्षा मंत्री और तृणमूल कांग्रेस के पूर्व महासचिव पार्थ चटर्जी की न्यायिक हिरासत 14 दिसंबर तक बढ़ा दी। इस मामले में पार्थ चटर्जी की करीबी सहयोगी अर्पिता मुखर्जी के लिए भी इसी तरह की हिरासत बढ़ाने का आदेश दिया गया।
हालांकि ईडी के वकीलों ने हिरासत एक महीने के लिए बढ़ाने की मांग की, लेकिन अदालत ने चटर्जी के वकीलों की इस दलील को स्वीकार किया कि ऐसे मामलों में न्यायिक हिरासत को 14 दिनों से अधिक नहीं बढ़ाया जा सकता। बुधवार को न तो पार्थ चटर्जी के वकील और न ही अर्पिता मुखर्जी के वकील ने अपने मुवक्किलों के लिए जमानत याचिका दायर की। इसके बजाय, उन्होंने अपने तर्क का अधिकांश समय ईडी के अधिकारियों द्वारा जांच की धीमी रफ्तार पर सवाल उठाने में बिताया।
हालांकि, ईडी के वकीलों ने जांच की लंबी प्रक्रिया को सही ठहराया और आरोपी के विदेश भागने की आशंका जताते हुए कहा कि एक चोर चोरी करने के बाद कहीं और चला जाता है। ईडी के वकील ने तर्क दिया, “चोरी एक अनुसूचित अपराध है, लेकिन अगर चोर अपराध करने के बाद कहीं और भाग जाता है, तो जांच 24 घंटे के भीतर पूरी नहीं की जा सकती। इसी तरह, घोटाले पर कार्रवाई होने के बाद इस मामले को कुछ चैनलों सहित विभिन्न कॉर्पोरेट संस्थाओं के माध्यम से डायवर्ट किया गया। इसलिए, जांच प्रक्रिया में समय लग रहा है।”
उन्होंने यह भी बताया कि शिक्षा मंत्री के रूप में पार्थ चटर्जी ने पश्चिम बंगाल बोर्ड ऑफ प्राइमरी एजुकेशन (डब्ल्यूबीबीपीई) के पूर्व अध्यक्ष माणिक भट्टाचार्य द्वारा की गई भर्ती में गड़बड़ी के बारे में मुखबिरों की चेतावनी को भी नजरअंदाज किया था। उन्होंने अदालत को यह भी बताया कि ईडी ने पार्थ चटर्जी और अर्पिता मुखर्जी के स्वामित्व वाली 103 करोड़ रुपये की अनधिकृत और बेहिसाब संपत्ति जब्त की है।
आखिरकार दोनों पक्षों को सुनने के बाद कोर्ट ने पार्थ चटर्जी और अर्पिता मुखर्जी की न्यायिक हिरासत 14 दिसंबर तक बढ़ा दी।