नई दिल्ली। शास्त्रों में शनि देव को न्याय का देवता माना गया है। कहा जाता है कि शनि देव जातक को उसके कर्मों के अनुसार फल देते हैं। अच्छे कर्म करने वालों को अच्छा फल मिलता है और बुरे काम करने वालों को सजा मिलती है। ज्योतिषी के अनुसार जन्म कुण्डली में शनि की शुभ स्थिति व्यक्ति को एक मंजिल से दूसरे कान तक ले जा सकती है। हालांकि, शनि दोष से पीड़ित लोगों को आर्थिक, शारीरिक और मानसिक कष्टों का सामना करना पड़ता है। शनि गोचर के प्रभाव से कुल पांच राशियों पर शनि की दशा शुरू हो रही है। अब जुलाई के महीने में एक बार फिर शनि देव मकर राशि में प्रवेश करने जा रहे हैं। शनि के मकर राशि में जाने से कुछ राशियों को परेशानी का सामना करना पड़ सकता है।
12 जुलाई को शनि वक्री होकर मकर राशि में प्रवेश करेगा। वर्तमान में शनि कुंभ राशि में गोचर कर रहा है। 5 जून को शनि वक्री में आया। शनि के मकर राशि में प्रवेश के साथ ही कुछ राशियों पर शनि की साढ़े साती और शनि ढैया फिर से शुरू हो जाएंगे। 12 जुलाई से धनु राशि के जातक शनि की साढ़ेसाती की चपेट में आ जाएंगे। मिथुन और तुला राशि के जातकों पर शनि ढैय्या प्रारंभ होगी। 17 जनवरी 2023 को शनि फिर से कुम्भ राशि में अपने गोचर में लौट आएंगे। शनि का राशि परिवर्तन करने से धनु, तुला और मिथुन राशि के जातकों को शनि दशा से मुक्ति मिलेगी।
शास्त्रों में शनि की साढ़े साती और ढैया को शुभ नहीं माना गया है। शनि के मकर राशि में प्रवेश से धनु, मकर और कुंभ राशि पर शनि की साढ़ेसाती चलेगी और मिथुन और तुला राशि में शनि ढैय्या से पीड़ित रहेंगे। शनि ढैया और साढ़े साती से पीड़ित जातकों को मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है। इस दौरान आपको मेहनत का कम फल मिल सकता है। चीजें गलत हो सकती हैं। आर्थिक नुकसान हो सकता है।