नई दिल्ली। वैसे तो आज के दौर में कहा जाता है कि इंसान की पहचान उसके कपड़ों और जूतों से तय होती है, लेकिन कोई कितना भी अच्छे कपड़े क्यों न पहन ले, अगर जूते सही नहीं हैं तो इंसान को अहमियत नहीं दी जाती। ऐसा माना जाता है कि कपड़े और जूते किसी व्यक्ति की पहचान में महत्वपूर्ण कारक होते हैं, लेकिन कोई कितना भी अच्छा पहन ले, अगर जूते सही नहीं हैं तो व्यक्ति को महत्व नहीं दिया जाता है।
शास्त्रों में भी मानव जीवन की धुरी का संबंध प्रत्येक वस्तु पर किसी न किसी ग्रह से है। इसी प्रकार किसी व्यक्ति की कुंडली का अष्टम भाव पैरों के तलवों से संबंधित होता है। अष्टम भाव पैरों के जूतों को महत्व देता है। कहा जाता है कि जूते दुर्भाग्य का सूचक होते हैं और जूते जीवन में आर्थिक और काम से जुड़ी समस्याओं का कारण बनते हैं। इसी कारण अष्टम भाव के अनुसार जूते को भी ठीक से धारण करने और रखने की बात कही गई है।
शास्त्रों के अनुसार कभी भी उपहार में दिए गए जूते नहीं पहनने चाहिए क्योंकि शनि देव काम में बाधा उत्पन्न करते हैं। चोरी के जूते वैसे तो बहुत बुरे माने जाते हैं। कभी चोरी न करें। आपको बता दें कि जूते या चुराई गई चप्पल पहनना स्वास्थ्य और धन के विनाश का संकेत है। फटे जूते पहनकर नौकरी छोड़ने से पहले गलत धारणा बन जाती है और शास्त्रों के अनुसार असफलता हाथ लगती है। जूतों में कलर का भी महत्व है, ऐसे में कार्यस्थल पर भूरे रंग के जूते पहनने से काफी बाधाएं आती हैं। नीले रंग के जूते पानी और आयुर्वेदिक कार्यों से जुड़े लोगों को नहीं पहनने चाहिए। ज्योतिष और वास्तु में जूते और चप्पल शनि राहु के कारक हैं।