नई दिल्ली : वास्तु शास्त्र एक प्राचीन विज्ञान है जो ऊर्जा के संतुलन और सकारात्मकता के प्रवाह पर आधारित है। इसका मानना है कि हमारे आसपास की हर चीज, चाहे वह घर हो, ऑफिस हो या कोई भी वस्तु, हमारी ऊर्जा को प्रभावित करती है। वास्तु शास्त्र में घर के प्रवेश द्वार का बड़ा महत्व होता है क्योंकि ऊर्जा का प्रवेश भी यहीं से होता है। अक्सर लोग अपने घर का कुछ नाम रखते हैं और गेट पर नेम प्लेट लगाते हैं। नेम प्लेट न केवल घर की पहचान होती है, बल्कि यह घर में प्रवेश करने वाली ऊर्जा को भी प्रभावित करती है। अगर आप घर या दफ्तर के मुख्य द्वार पर नेम प्लेट लगाते हैं तो इसका असर भी घर के ऊर्जा संचार पर पड़ता है। ऐसे में नेम प्लेट लगाते समय वास्तु नियमों का पालन करना बहुत जरूरी होता है। गलत तरीके से नेम प्लेट लगाने से घर में वास्तु दोष लगता है, जिसका सीधा असर घर के सदस्यों पर पड़ता है। इसलिए, वास्तु शास्त्र में नेम प्लेट लगाने के लिए कुछ खास बातों का ध्यान रखना चाहिए।
नेम प्लेट को घर या ऑफिस के मुख्य द्वार पर ही लगाना चाहिए।
कभी भी टूटी या खराब नेम प्लेट मुख्य द्वार पर नहीं लगाना चाहिए, ऐसा करने से घर में वास्तु दोष लगता है।
नेम प्लेट कभी भी ऐसी जगह लगाएं जिसे दूर से भी आसानी से देखा जा सके। इसलिए नेम प्लेट को दरवाजे के ऊपर या दीवार के कोने पर जैसे उच्च स्थान पर ही लगाएं।
वास्तु शास्त्र के अनुसार, घर के बाहर नेम प्लेट लगाने के लिए उत्तर और पूर्व दिशा सबसे उत्तम होती है।
उत्तर दिशा करियर और समृद्धि से जुड़ी होती है। उत्तर दिशा को शुभ दिशा माना जाता है। वहीं पूर्व दिशा को स्वास्थ्य और ज्ञान से जोड़कर देखा जाता है।
ईशान कोण को भी घर का सबसे शुभ कोण माना जाता है। यह दिशा समृद्धि, ज्ञान और आध्यात्मिकता से जुड़ी होती है, इसलिए ईशान कोण में भी नेम प्लेट लगाना अच्छा होता है।
नेम प्लेट का आकार चौकोर या आयताकार होना चाहिए। गोलाकार या त्रिकोणीय आकार की नेम प्लेट से बचना चाहिए।
लकड़ी, धातु या पत्थर से बनी नेम प्लेट को शुभ माना जाता है।
कभी भी नेम प्लेट पर हल्के रंगों का इस्तेमाल करना चाहिए जैसे सफेद, हल्का पीला या हल्का नीला होना चाहिए। वास्तु के अनुसार, गहरे रंग जैसे कि काला, लाल, या भूरे रंग के उपयोग से बचना चाहिए।
एक सबसे खास बात की नेम प्लेट पर लिखी हुई चीजें बहुत कम शब्दों में होनी चाहिए और स्पष्ट लिखा होना चाहिए।