तिरुवनंतपुरम: केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने गुरुवार को छात्राओ के लिए बड़ा ऐलान किया है। उन्होंने कहा कि देश में पहली बार राज्य सरकार के उच्च शिक्षा विभाग के संस्थानों में सभी 18 साल से अधिक उम्र की छात्राओं को मासिक धर्म और मातृत्व अवकाश दिया जाएगा। उन्होंने इसकी जानकारी अपने ट्विटर हैंडल और फेसबुक पेज पर दी है। उन्होंने ट्वीट किया कि केरल ने एक बार फिर देश के लिए एक मॉडल पेश किया है।
छात्राओं को मिलेगा 60 दिनों का मातृत्व अवकाश
पिनाराई विजयन ने कहा कि हमारे उच्च शिक्षा विभाग के तहत आने वाले सभी संस्थानों की छात्राओं को मासिक धर्म और मातृत्व अवकाश दिया जाएगा। यह न्यायपूर्ण समाज को साकार करने के लिए एलडीएफ सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि वैसे तो मासिक धर्म एक सामान्य प्राकृतिक प्रक्रिया है, लेकिन यह महिलाओं में बहुत अधिक मानसिक तनाव और शारीरिक परेशानी पैदा करता है। इसलिए सरकार ने छात्राओं की उपस्थिति में दो प्रतिशत की छूट देने का फैसला किया है। उन्होंने कहा कि उच्च शिक्षा विभाग ने 18 वर्ष की आयु पूरी कर चुकी छात्राओं को अधिकतम 60 दिनों का मातृत्व अवकाश देने का भी निर्णय लिया है।
छात्राओं के लिए 72 % अटेंडेंस
केरल के उच्च शिक्षा मंत्री आर बिंदू ने 18 साल से ऊपर की महिलाओं के लिए 60 दिनों के मातृत्व अवकाश की घोषणा की है। उन्होंने कहा कि छात्रओं के लिए आवश्यक उपस्थिति प्रतिशत मासिक धर्म अवकाश सहित 72 प्रतिशत होगा। हालांकि यह पहले 75% था। जिसके तहत अब छात्राओं को कॉलेजों में छात्रों की अपेक्षा 72 प्रतिशत अटेंडेंस की आवश्यकता होगी।
कोचीन यूनिवर्सिटी आफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी ने 14 जनवरी को अपनी छात्राओं को पीरियड्स के दौरान छुट्टी देने की घोषणा की है। शिक्षा मंत्री आर बिंदु ने अपने कार्यालय से एक प्रेस रिलीज जारी की जिसमें उन्होंने कहा कि मासिक धर्म के दौरान छात्रों को होने वाली मानसिक और शारीरिक कठिनाइयों को ध्यान में रखते हुए केरल सरकार इसे राज्य उच्च शिक्षा विभाग के तहत सभी विश्वविद्यालय में विस्तारित करने की योजना बना रही है। तो वहीं प्रेस रिलीज में यह भी कहा गया कि एसएफआई के नेतृत्व वाले छात्र संघ की मांग के आधार पर में सीयूएसएटी में मासिक धर्म की छुट्टी लागू की गई है।