जानिए सेना की 19 राष्‍ट्रीय राइफल्‍स के बारे में जो अनंतनाग में आतंकियों से कर रही मुकाबला

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नई दिल्ली: कश्‍मीर से धारा 370 हटने के बाद से वहां जनजीवन सामान्‍य हुआ है. घाटी में अमन आना पड़ोसी मुल्‍क पाकिस्‍तान (Pakistan) को रास नहीं आ रहा और उसकी शह पर आतंकी (Terrorist) फिर घाटी की फिजा बिगाड़ने की कोशिश कर रहे हैं. जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग जिले में आतंकियों से मुठभेड़ में सेना के तीन अफसरों समेत चार जांबाजों की शहादत हुई है.बुधवार को सेना के 19 राष्ट्रीय राइफल्स यूनिट के कमांडिंग ऑफिसर (कर्नल) मनप्रीत सिंह, कंपनी कमांडर (मेजर) आशीष धोनैक के साथ ही जम्‍मू-कश्‍मीर पुलिस (J&K Police) के डीएसपी हुमायूं भट भी जान गंवानी पड़ी है.

राष्ट्रीय राइफल्स दरअसल रक्षा मंत्रालय के अधीन भारतीय सेना की एक शाखा है. यह एक आतंकवाद रोधी दल है जिसमें सेना की अन्‍य इकाइयों से सैनिकों को प्रतिनियुक्ति पर पर भेजा जाता है. यह बल इस समय केंद्र शासित क्षेत्र जम्‍मू-कश्‍मीर और लद्दाख ने तैनात है.राष्ट्रीय राइफल्स (RR) के पास आतंकवाद के खिलाफ ऑपरेशन में 30 वर्षों से अधिक का अनुभव है .राष्ट्रीय राइफल्स में 65 बटालियन शामिल हैं,इसमें क‍रीब 80 हजार कर्मचारी हैं. इसे आतंकी हमलों को नाकाम करने और आतंकियों को ढेर करने के लिए खास तौर पर प्रशिक्षित किया जाता है. राष्‍ट्रीय राइफल्‍स में आधे जवान इंफेंट्री से लिए जाते हैं जबकि शेष अन्य यूनिटों से होते हैं.

राष्‍ट्रीय राइफल्‍स में सीधे भर्ती नहीं होती, इसमें सेवा देने के पहले सेना के किसी रेजीमेंट में शामिल होना होता है. RR के कर्मियों को नियमित सेनाकर्मियों की तुलना में 25 अधिक वेतन और कुछ अतिरिक्‍त लाभ हासिल होते हैं.

राष्ट्रीय राइफल्स (RR) बनाने का विचार वर्ष 1990 में आया था जब कश्‍मीर घाटी में आतंकवाद चरम पर था और पुलिस व अर्धसैनिक बलों को इसे रोकने में अपेक्षित सफलता नहीं मिल पा रही थी.विश्‍वनाथ प्रताप सिंह के नेतृत्‍व वाली सरकार ने वर्ष 1990 में सेना को राष्‍ट्रीय राइफल्‍स बनाने की अनुमति दी थी. इसे मुख्य रूप से जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद के खिलाफ अभियान चलाने का काम सौंपा गया, लेकिन इसे देश के अन्य हिस्सों में भी तैनात जा चुका है.RR में जवानों, जेसीओ और अधिकारियों को दो से तीन साल की अवधि के लिए प्रतिनियुक्ति पर शामिल किया जाता है. राष्‍ट्रीय राइफल्‍स में शामिल होने से पहले जवानों को कोर बैटल स्‍कूल में सख्‍त ट्रेनिंग से गुजरना होता है. आरआर को स्थानीय पुलिस और अन्य सुरक्षा एजेंसियों के साथ समन्‍वय रखते हुए ऑपरेशंस को अंजाम देना होता है.

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