महादेव की पूजा के बाद इस मंदिर में क्यों नहीं किए जाते नंदी के दर्शन, जानें धार्मिक कारण

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नई दिल्ली : भारत के अलावा दुनिया भर में भगवान शिव के हजारों मंदिर और तीर्थ स्थल देखने को मिलते हैं. भगवान शिव के सभी मंदिर और तीर्थ स्थल का अपना अलग महत्व है जो अपने चमत्कार और धार्मिकता के कारण दुनियाभर में प्रसिद्ध हैं. दुनियाभर में भगवान शिव को समर्पित कई मंदिर हैं और इन्हीं में से एक है नेपाल का पशुपतिनाथ मंदिर. नेपाल का पशुपतिनाथ मंदिर भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से ही एक माना जाता है.

पशुपतिनाथ मंदिर, नेपाल की राजधानी काठमांडू से 3 किमी उत्तर-पश्चिम देवपाटन गांव में बागमती नदी के तट पर स्थित है. यह मंदिर भगवान शिव के पशुपति स्वरूप को समर्पित है. यूनेस्को विश्व सांस्कृतिक विरासत स्थल की सूची में शामिल भगवान पशुपतिनाथ का मंदिर नेपाल में महादेव का सबसे पवित्र मंदिर माना जाता है.

भगवान शिव के पशुपति स्वरूप को समर्पित इस मंदिर में हर साल हजारों भक्त दर्शन के लिए आते हैं और महाशिवरात्रि के मौके पर इस मंदिर में लोगों की भारी भीड़ उमड़ती है. ऐसा कहा जाता है कि नेपाल में स्थित इस मंदिर में सबसे अधिक संख्या भारतीय पुजारियों की है. यह परंपरा कई सदियों से चली आ रही है कि मंदिर में चार पुजारी और एक मुख्य पुजारी दक्षिण भारत के ब्राह्मणों में से रखे जाते हैं. पशुपतिनाथ मंदिर को 12 ज्योतिर्लिगों में से एक केदारनाथ का आधा भाग माना जाता है. जिसके कारण इस मंदिर की शक्ति और महत्व और अधिक बढ़ जाता है.

पशुपति मंदिर में चारों दिशाओं में एक मुख है और एक मुख ऊपर की दिशा में भी है. हर मुख के दाएं हाथ में रुद्राक्ष की माला और बाएं हाथ में कमंडल मौजूद है. मंदिर में स्थापित शिवलिंग के पांचों मुखों के गुण अलग-अलग हैं. जो मुख दक्षिण की ओर है उसे अघोर मुख कहा जाता है. पश्चिम की ओर मुख को सद्योजात, पूर्व और उत्तर की ओर मुख को तत्वपुरुष और अर्द्धनारीश्वर कहा जाता है. जो मुख ऊपर की ओर है उसे ईशान मुख कहा जाता है. यह निराकार मुख है. यही भगवान पशुपतिनाथ का श्रेष्ठतम मुख माना जाता है.

श्री पशुपतिनाथ मंदिर में स्थित शिवलिंग बहुत ही कीमती और चमत्कारी है. माना जाता है कि यह शिवलिंग पारस के पत्थर से बना है. अब पारस के पत्थर के बारे में तो हम सभी जानते ही हैं कि इसके स्पर्श मात्र से लोहा भी सोना बन जाता है.

इस मंदिर को लेकर ऐसी मान्यता है कि अगर आपने पशुपति के दर्शन किए तो आप नंदी के दर्शन न करें. नहीं तो आपको दूसरे जन्म में पशु का जन्म मिलेगा. इस मंदिर के बाहर एक घाट बना हुआ है जिसे आर्य घाट के नाम से जाना जाता है. इस घाट के बारे में कहा जाता है कि मंदिर के अंदर सिर्फ इसी घाट का पानी जाता है. इसके अलावा कहीं और का पानी मंदिर में ले जाना वर्जित है.

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