नई दिल्ली : हिंदू धर्म में पूजा के समय दीपक जलाने का विधान है. दीपक जलाकर पूजा करते हैं, उससे आरती भी की जाती है. आपने देखा होगा कि कोई घी का दीपक जलाता है तो कोई तेल का दीपक जलाता है. तेल में भी काले तिल और सरसों के तेल के दीपक जलाए जाते हैं. अब मन में प्रश्न उठता है कि पूजा में घी का दीपक जलाना सही है या फिर तेल का दीपक? पूजा के दीपक जलाने के नियम और महत्वपूर्ण बातें.
गाय के घी का दीपक शुभ माना जाता है. इसको जलाने से नकारात्मकता और वास्तु दोष दूर होता है. प्रतिदिन घर में घी का दीपक जलाने से सुख, शांति और समृद्धि आती है. इससे वातावरण भी शुद्ध होता है.
दीपक जलाने के नियम और महत्व
1. धार्मिक ग्रंथों में घी और तिल के तेल के दीपक का वर्णन है. घी का दीपक जलाने से देवी-देवता प्रसन्न होते हैं. माता लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है और वास्तु दोष दूर होता है. धन लाभ होता है.
2. घी का दीपक देवी-देवताओं को समर्पित किया जाता है, जबकि तेल का दीपक मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए जलाते हैं.
3. पुराने समय में घी न होने पर तिल के तेल का दीपक जलाया जाता था. इस दीपक को हमेशा देवी या देवता के बाएं रखना चाहिए.
4. तेल के दीपक में हमेशा लाल धागे से बनी हुई बत्ती का उपयोग करते हैं. तिल के तेल वाले दीपक में लाल या पीली बत्ती लगा सकते हैं.
5. घी का दीपक देवी-देवताओं के दाईं ओर रखना चाहिए.
6. घी के दीपक में हमेशा रूई की सफेद खड़ी बत्ती का इस्तेमाल होता है.
7. दीपक की लौ पूर्व या उत्तर दिशा में होनी चाहिए. पूर्व दिशा में दीपक की लौ आयु में वृद्धि और उत्तर में धन लाभ कराता है. जबकि पश्चिम में होने से दुख और दक्षिण में होने से हानि होता है.
8. तिल या सरसों के तेल का दीपक शनि देव के लिए जलाया जाता है. सूर्य देव और काल भैरव के लिए भी सरसों के तेल वाला दीपक जलाते हैं.