जान लीजिए वह पांच चीजें जो सबसे ज्यादा मंगाते हैं विदेशों से

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केंद्र सरकार ने कल ही विदेश व्यापार के आंकड़े घोषित किए हैं। साल 2022-23 के दौरान देश से रिकार्ड 447 अरब डॉलर का निर्यात हुआ है। यह एक साल पहले के मुकाबले छह फीसदी की बढ़ोतरी दर्शाता है। लेकिन, इसी अवधि के दौरान देश के आयात में 16.5 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। बीते साल अपने यहां कुल 714 अरब डॉलर की वस्तुओं का आयात हुआ है। आपको पता है कि हम किन पांच वस्तुओं का सबसे ज्यादा आयात करते हैं? आपको हम इसी की जानकारी दे रहे हैं।

अपने यहां पेट्रोलियम पदार्थों की तो खपत खूब है, लेकिन यहां उस हिसाब से प्रोडक्शन नहीं होता है। अपने यहां पेट्रोलियम पदार्थों की जितनी खपत होती है, उसमें से करीब 70 फीसदी हिस्सा विदेशों से मंगाना पड़ता है। साल 2022-23 के दौरान अपने यहां कुल 209 अरब डॉलर का क्रूड आयल तथा अन्य पेट्रोलियम पदार्थों का आयात करना पड़ा। यह एक साल पहले के मुकाबले 29.52 फीसदी की बढ़ोतरी है। साल 2021-22 के दौरान हमने कुल 161 अरब डॉलर का पेट्रोलियम पदार्थ मंगाया था।

मुकाबले इस साल 56.80 फीसदी ज्यादा कोयला इंपोर्ट किया है। साल 2022-23 के दौरान हमने कुल 49 अरब डॉलर का कोयला विदेशों से मंगाया जबकि इससे एक साल पहले हमने 31 अरब डॉलर का कोयला विदेशों से मंगाया था। इसमें बिजली घर का कोयला और लोहा गलाने वाला कोयला मतलब कि कोक भी शामिल है।

भारतीयों का सोने से प्रेम किसी से छुपा नहीं है। हम खूब सोना खरीदते हैं। चाहे उसका कोई सार्थक उपयोग हो या नहीं हो। अब पिछले साल का का ही आंकड़ा देखिए। साल 2022-23 के दौरान हमने 35 अबर डॉलर का सोना आयात कर लिया। हालांकि साल 2021-22 से मुकाबला करें तो आलोच्य अवधि में हमने 24.15 फीसदी कम सोना मंगाया। उस साल तो हमने 46 अरब डॉलर का सिर्फ सोना ही मंगाया था।

औद्योगिक गतिविधियां तेज करने के लिए हमें आर्गेनिक एवं इनआर्गेनिक केमिकल्स (Inorganic Chemical) का खूब इंपोर्ट करना पड़ता है। पिछले साल (2022-23) हमने कुल 33 अरब डॉलर के आर्गेनिक एंड इनआर्गेनिक केमिकल्स का इंपोर्ट किया। यह एक साल पहले के मुकाबले 10.45 फीसदी की बढ़ोतरी है। साल 2021-22 के दौरान हमने कुल 30 अरब डॉलर का केमिकल पदार्थ मंगाया था।

हम भारतीय हीरा और मोती का भी खूब आयात करते हैं। साल 2022-23 के दौरान हमने 30 अरब डॉलर का मोती तथा प्रीसस और सेमी प्रीसस स्टोन मंगाया। यह एक साल पहले के मुकाबले करीब एक फीसदी कम है क्योंकि एक साल पहले हमने 31 अरब डॉलर का हीरा-मोती मंगाया था। इस कमोडिटी का आयात हमें पिंच नहीं करता है। क्योंकि हम बिना कट किया हुआ और बिना पॉलिश किया हुआ हीरा बाहर से मंगाते हैं। उसकी कटिंग और पॉलिशिंग कर इसे दुनिया भर के बाजारों में बेच देते हैं। इससे हमें काफी फायदा होता है। साथ ही लाखों लोगों को रोजगार भी मिलता है।

 

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