धार्मिक ग्रंथों में श्रीमद्भागवत गीता का विशेष स्थान है क्योंकि इसमें मनुष्य के जीवन से जुड़ी हुई सभी प्रकार की समस्याओं का समाधान निहित है. भगवान श्रीकृष्ण ने संसार को गीता के रूप में अपनी विशेष कृपा प्रदान की है. हिंदू कैलेंडर के अनुसार, मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को गीता जयंती मनाई जाती है. इस साल गीता जयंती की तिथि और महत्व के बारे में.
गीता जयंती 2022 तिथि
पंचांग के अनुसार, 03 दिसंबर को सुबह 05 बजकर 39 मिनट पर मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि की शुरूआत हो रही है. यह तिथि 04 दिसंबर दिन रविवार को सुबह 05 बजकर 34 मिनट तक मान्य रहेगी. ऐसे में उदयातिथि को आधार मानकर गीता जयंती इस साल 03 दिसंबर शनिवार को मनाई जाएगी.
रवि योग में गीता जयंती
इस साल गीता जयंती पर रवि योग बना है. 03 दिसंबर को रवि योग सुबह 07 बजकर 04 मिनट पर लग रहा है और यह अगले दिन 04 दिसंबर को सुबह 06 बजकर 16 मिनट तक है. रवि योग अमंगल को दूर करके शुभता प्रदान करता है.
क्यों मनाते हैं गीता जयंती?
इस प्रश्न का उत्तर जानने के लिए आपको महाभारत के युद्ध के प्रारंभिक चरण से जुड़ी घटना के बारे में जानना होगा. कौरवों ने जब पांडवों को राज्य में कोई भी अधिकार देने से मना कर दिया, तब कुरूक्षेत्र में अधर्म के खिलाफ धर्म के युद्ध की पृष्ठभूमि तैयार हो गई. पांडवों और कौरवों की सेनाएं युद्ध के लिए कुरूक्षेत्र में आमने सामने थीं.
उस समय अर्जुन रथ पर सवार थे और उनके सारथी थे भगवान श्रीकृष्ण. अर्जुन ने देखा कि कौरवों की ओर से दुर्योधन के सभी भाई, कर्ण, द्रोणाचार्य, पितामह भीष्म समेत अनेक सगे संबंधी युद्ध के लिए खड़े हैं. अर्जुन इस बात को सोचकर हतोत्साहित हो गए कि वे किस प्रकार से अपने पितामह, गुरु द्रोण, कौरव भाइयों के खिलाफ शस्त्र उठाएंगे. वे गांडीव छोड़कर रथ में पीछै की ओर बैठ गए.
तब भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को अपने विराट स्वरूप का दर्शन कराया. उन्होंने बताया कि मनुष्य का अधिकार केवल कर्म करना है, हार, जीत, जीवन, मरण, दुख, शोक, हर्ष जैसी अनेक चीजों पर उसका कोई वश नहीं है. आत्मा अमर है और शरीर नश्वर है. सृष्टि में जो कुछ होता है, वह सब उनकी वजह से ही होता है.
भगवान श्रीकृष्ण ने मार्गशीर्ष शुक्ल एकादशी तिथि को गीता का उपदेश दिया, जिसके बाद अर्जुन को वास्तविकता का ज्ञान हुआ और वे युद्ध के लिए खड़े हुए. इस तिथि को हर साल गीता जयंती मनाई जाती है क्योंकि इस दिन ही मनुष्य को अधंकार से ज्ञान की ओर ले जाने वाली गीता भगवान श्रीकृष्ण के मुख से संसार में आई.
द्वापर युग के बाद से आज तक श्रीमद्भागवत गीता लोगों की पथ प्रदर्शक है. अज्ञानता को दूर करके मनुष्य को उसके कर्म के बारे में बताती है.