नई दिल्ली : जून 2024 तक कुशीनगर अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट अंतरराष्ट्रीय मानक के अनुरूप तैयार हो जाएगा। तब निर्बाध घरेलू एवं विदेशी उड़ान सेवा शुरू होने में कोई तकनीकी या व्यावहारिक बाधा नहीं रह जाएगी।
दरअसल, नेवीगेशनल सिस्टम बनाने वाली रूसी कंपनी ने इंस्ट्रूमेंट लैंडिंग सिस्टम (आईएलएस) के उपकरण भारत के लिए रवाना कर दिए हैं, जो इसी महीने कुशीनगर आ आएगा। फरवरी में इलेक्ट्रिकल वर्क शुरू होगा। जून में आईएलएस के आपरेशनल हो जाने की बात कही जा रही है। दूसरी तरफ एयरपोर्ट पर डाप्लर वेरी ओमनी रेंज (डीबीओआर) इंस्टालेशन का कार्य चल रहा है, जो एक मार्च से आपरेशनल हो जाएगा। इन दोनों सिस्टम के आपरेशनल हो जाने के बाद देश-विदेश के विमान निर्बाध रूप से किसी भी मौसम में लैंड और टेक आफ कर सकेंगे।
एयरपोर्ट के प्रभारी निदेशक नरेंद्र रे ने बताया कि जून से कुशीनगर एयरपोर्ट उड़ान के अंतरराष्ट्रीय मानक के अनुरूप हो जाएगा। उस स्थिति में देशी-विदेशी विमानन कंपनियां यहां से उड़ान सेवा शुरू करने के लिए आकर्षित होंगी। आईएलएस उपकरण और डीबीओआर का इंस्टालेशन ही अंतिम बाधा है।
गत वर्ष मार्च में भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण ने एयरपोर्ट पर आईएलएस और डीबीओआर की स्थापना के लिए 5.75 करोड़ की निविदा जारी की थी। अप्रैल के प्रथम सप्ताह में निविदा खोली गई। चयनित कंपनी को कार्य पूर्ण करने के लिए चार माह का समय दिया गया है, लेकिन निर्यात में अंतरराष्ट्रीय औपचारिकता में समय लगा। सिस्टम के आपरेशनल होने के बाद विमान प्रतिकूल मौसम में भी स्वचालित मोड में रन-वे पर लैंड व टेक आफ कर सकेंगे।