नई दिल्लीः अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा (NASA) को अपना महत्वाकांक्षी मून मिशन `आर्टेमिस-1′ की लॉन्चिंग एकबार फिर टालनी पड़ी है। गत रात 11 बजकर 47 मिनट पर इसकी लॉन्चिंग होनी थी लेकिन आखिरी समय पर यह टाल दी गई। बताया जाता है कि परीक्षण की अंतिम तैयारियों के लिए जब इसमें ईंधन भरा जा रहा था तब इसमें खतरनाक रिसाव हुआ। रॉकेट में ईंधन पहुंचाने वाले सिस्टम को दुरुस्त करने की कोशिश की गई लेकिन इसमें कामयाबी नहीं मिलने के कारण लॉन्चिंग फिलहाल टाल दी गई। हालांकि इसकी नई तारीख की घोषणा नहीं की गई है।
गौरतलब है कि इससे पहले 29 अगस्त को रॉकेट के 4 में से तीसरे इंजन में आई तकनीकी गड़बड़ी व खराब मौसम के कारण इसकी लॉन्चिग टाली जा चुकी है। अमेरिका 53 साल बाद अपने मून मिशन आर्टेमिस के माध्यम से इंसानों को चांद पर एकबार फिर भेजने की तैयारी कर रहा है और आर्टेमिस-1 इस दिशा में पहला कदम है। यह मिशन का एक टेस्ट फ्लाइट है जिसमें अंतरिक्ष यात्री नहीं होंगे।
अमेरिका और सोवियत संघ में पहले से ही चांद पर धाक जमाने के लिए 60-70 के दशक में सैटेलाइट्स भेजे जाने की होड़ रही। बता दें कि 1961 में सोवियत संघ के अंतरिक्ष यात्री यूरी गागरिन अंतरिक्ष में उड़ान भरने वाले पहले शख्स थे। इससे अमेरिका के सोवियत संघ के साथ इस तकनीकी प्रतियोगिता में पीछे रह जाने की आशंकाओं को बल मिला था।
नासा (NASA) के अधिकारियों ने बताया कि इसके कामयाब होने से नासा के चंद्रमा से मंगल आर्टेमिस प्रोग्राम को शुरू करने को भी हरी झंडी मिलेगी। उल्लेखनीय है कि आर्टेमिस-1 मून मिशन से आधी सदी पहले अपोलो लूनर मिशन के तहत चांद पर अंतरिक्ष यान भेजा गया था। ये यूएस का तीसरा मानव अंतरिक्ष यान प्रोग्राम था। इसे प्रोजेक्ट अपोलो के तौर पर भी जाना जाता है। नेशनल एरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन के तैयार किए गए इस प्रोग्राम के जरिए 1968 से 1972 तक चंद्रमा की सतह पर इंसान को भेजने की तैयारी की गई और इसमें ये कामयाब भी हुआ। इसी के जरिए 1969 पहली बार इंसान ने चंद्रमा की सतह पर पहला कदम पर कदम रखा था।