गांधीनगर: महात्मा गांधी की परपोती और गांधीवादी विचारधारा की प्रबल समर्थक नीलमबेन परीख का 93 वर्ष की आयु में निधन हो गया। उन्होंने गुजरात के नवसारी जिले में अंतिम सांस ली। नीलमबेन, गांधीजी के पुत्र हरिदास गांधी की पोती थीं और अपने बेटे डॉ. समीर परीख के घर अलका सोसायटी में रह रही थीं। उनका जीवन समाज सेवा, महिला कल्याण और गांधीवादी मूल्यों के प्रचार-प्रसार को समर्पित था। उनका अंतिम संस्कार वीरवाल श्मशान घाट पर किया जाएगा और अंतिम यात्रा कल सुबह 8 बजे उनके निवास स्थान से निकलेगी।
बता दें कि नीलमबेन परीख नवसारी जिले के अलका सोसायटी में अपने बेटे समीर परीख के घर में रहती थी। उनकी अंतिम यात्रा आज सुबह इस निवास स्थान से निकलकर वीरवाल श्मशान घाट पर अंतिम संस्कार किया जा रहा है। नीलमबेन पारीख ने अपना पूरा जीवन व्यारा में बिताकर महिला कल्याण और मानव सेवा के लिए सदा समर्पित रहीं।
सादगी और सेवा का रहा जीवन
नीलमबेन परीख ने अपना संपूर्ण जीवन व्यारा में बिताया और समाज के वंचित वर्गों की सेवा में योगदान दिया। उन्होंने महिलाओं के अधिकार, शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य किए। एक सच्ची गांधीवादी के रूप में, उन्होंने हमेशा सत्य और अहिंसा के मार्ग को अपनाया और दूसरों को भी प्रेरित किया।
गांधीजी की अंतिम अस्थियों का किया था विसर्जन
महात्मा गांधी की 60वीं पुण्यतिथि पर, 30 जनवरी 2008 को, नीलमबेन परीख ने गांधीजी की अंतिम बची हुई अस्थियों को सम्मानपूर्वक अरब सागर में विसर्जित किया था। इस ऐतिहासिक क्षण में गांधीजी के अनुयायियों और परिवार के अन्य सदस्यों ने भी भाग लिया था। उनका निधन गांधी परिवार और समाज के लिए एक अपूरणीय क्षति है। इनका पूरा संपूर्ण जीवन व्यारा में बिताया और समाज के वंचित वर्गों की सेवा में योगदान दिया।
उन्होंने महिलाओं के अधिकार, शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य किए। एक सच्ची गांधीवादी के रूप में, उन्होंने हमेशा सत्य और अहिंसा के मार्ग को अपनाया और दूसरों को भी प्रेरित करते हुए गांधी जी के उच्च आदर्शों पर चलने के लिए लोगों को अग्रसर किया है। इनकी प्रेरणा से कई लोगों ने गांधीवादी विचार अपनाए है।