कोलकाता: पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने वक्फ (संशोधन) विधेयक को लेकर केंद्र की भाजपा सरकार पर तीखा हमला करते हुए इसे मुसलमानों को निशाना बनाने की साजिश करार दिया। विधानसभा में एक प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान ममता ने आरोप लगाया कि यह विधेयक केंद्र की ‘‘विभाजनकारी राजनीति’’ का हिस्सा है। उन्होंने इसके पारित होने की संभावनाओं पर भी सवाल उठाए।
ममता ने केंद्र सरकार पर राज्य सरकारों को दरकिनार करने और वक्फ संपत्तियों को लेकर बिना परामर्श के विधेयक तैयार करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा, ‘‘केंद्र ने हमसे इस विधेयक पर चर्चा नहीं की। बजट सत्र से पहले इसे लाने की क्या जरूरत है? क्या राज्य की राय मायने नहीं रखती?’’
मुख्यमंत्री ने सवाल किया कि केवल मुसलमानों को ही क्यों निशाना बनाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि क्या केंद्र सरकार में इतना साहस है कि वह हिंदू मंदिर ट्रस्टों या चर्च की संपत्तियों पर भी ऐसा कानून बनाए? इसका उत्तर नहीं है। यह विधेयक एक खास समुदाय के खिलाफ भेदभावपूर्ण रवैया दर्शाता है। ममता ने आरोप लगाया कि भाजपा संसद में दो-तिहाई बहुमत के बिना भी इसे पारित करने की कोशिश कर रही है। उन्होंने संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) की कार्यवाही पर भी सवाल उठाए और विपक्षी सदस्यों को बोलने न देने का मुद्दा उठाया।
बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिंदुओं की घटती आबादी पर भी ममता ने केंद्र की कथित निष्क्रियता पर सवाल खड़े किए। उन्होंने कहा कि अगर बांग्लादेश में अल्पसंख्यक संकट का सामना कर रहे हैं, तो केंद्र सरकार क्या कर रही थी? हमने उनकी मदद करने की कोशिश की, लेकिन केंद्र ने पर्याप्त कदम नहीं उठाए।’’ मुख्यमंत्री ने राज्य में सांप्रदायिक सद्भाव की महत्ता पर जोर देते हुए कहा कि सभी धर्मों को बराबर सम्मान दिया जाना चाहिए। उन्होंने बेलूर मठ के समावेशी आदर्शों की सराहना करते हुए कहा कि यह विविधता में एकता का प्रतीक है।
ममता ने कहा, ‘‘संविधान किसी भी धर्म विशेष को निशाना बनाने की अनुमति नहीं देता। भाजपा को यह समझना चाहिए कि उनके पास संसद में दो-तिहाई बहुमत नहीं है, और उन्हें लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं का सम्मान करना चाहिए।