कपास के उन्नत किस्म के बीज तैयार कर कमाई का जरिया बढ़ा रही मंजू रानी, जानिए संघर्ष की कहानी

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नई दिल्ली: सिरसा के गांव शाहरपुर बेगू की महिला मंजु रानी खेतीबाड़ी में कुछ अलग से करने की तमन्ना थी। जिसको लेकर घूंघट को छोड़कर कार्य करना शुरू किया। इसके लिए उन्नत किस्म के बीज तैयार करने के लिए केंद्रीय कपास अनुसंधान केंद्र व चौधरी चरण सिंह कृषि विश्वविद्यालय के कृषि वैज्ञानिकों से प्रशिक्षण लिया। इसके बाद उन्नत किस्म के बीज तैयार करने लगी। मंजू रानी किस्म एचएच 1 व सीआइसीआर 2 किस्म के बीज तैयार कर रही है। इससे उससे धीरे धीर जैसे जैसे सफलता मिली इससे हौसला बढ़ता गया।

मंजु रानी को अब कपास के उन्नत किस्म के बीज तैयार करने में पूरी जानकारी हो चुकी है। कपास की फसल बिजाई करने के बाद जब फूल खिलने लगते हैं। इसके बाद अलग अलग क्यारी में तैयार नर व मादा पौधों के आपस में मिलान किया जाता है। यह कार्य कपास के फूल खिलने तक करीब 50 दिन तक करना होता है। इसमें दूसरी महिला मजूदरों को भी साथ रखा जाता है। इसके बाद कपास की फसल होने पर बीज को निकाल लेते हैं। जबकि रूई को बेच देते हैं।

मंजु रानी ने बताया कि पांच एकड़ में कपास की बिजाई करती है। इनमें देसी कपास व नरमा की किस्म तैयार करते हैं। कपास की फसल की जब चुनाई कर लेते हैं। इसके बाद विभिन्न किस्म के तैयार बीज की घर पर ही पैकिंग करते है। इससे प्रतिवर्ष एक एकड़ में चार लाख रुपये की आमदनी हो जाती है। इसी के साथ दूसरी महिलाओं को भी रोजगार मिलता है।

उन्नत किस्म के बीज तैयार करने में मंजु ने जहां अपनी पहचान बनाई है। इसी के साथ मंजू रानी कृषि कार्य करने पर राज्य स्तर पर सम्मानित हो चुकी है। चौधरी चरण सिंह कृषि विश्वविद्यालय में किसान मेले में मंजू कपास के उन्नत बीज तैयार करने पर भी सम्मानित हुई है। इसी के साथ कई बार जिला स्तर पर सम्मानित हुई है।

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