बाढ़ और भूस्खलन से जूझ रहे हैं दिल्ली, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश सहित कई राज्य

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नई दिल्ली : दिल्ली, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश सहित कई राज्य बाढ़ और भूस्खलन से जूझ रहे हैं । भारतीय मौसम विभाग (आईएमडी) की वेबसाइट पर उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार, जुलाई के पहले दो सप्‍ताह में देश के 36 सब डिविजन में से सात में भारी-अति वृष्टि देखी गई है। मौसम संबंधी आंकड़ों और पूर्वानुमान के लिए देश को 36 सब डिविजन में बांटा गया है। भारी अतिवृष्टि का मतलब है दीर्घकालिक औसत के मुकाबले 60 प्रतिशत से अधिक बारिश।

आईएमडी के आंकड़ों के अनुसार, 1-14 जुलाई के दौरान अत्यधिक वर्षा वाले सब डिविजन हैं – हिमाचल प्रदेश; सौराष्ट्र और कच्छ; पंजाब; हरियाणा, चंडीगढ़ और दिल्ली; पश्चिमी राजस्थान; पश्चिमी उत्तर प्रदेश; और उत्तराखंड। महीने के पहले दो सप्‍ताह में हिमाचल प्रदेश में पूरे महीने की तुलना में पहले ही अधिक बारिश हो चुकी है। यहां अब तक 272.9 मिमी बारिश दर्ज की गई है जो सामान्य 101.9 मिमी की तुलना में 168 फीसदी अधिक है। इस सब डिविजन में जुलाई महीने में औसतन 273 मिमी बारिश होती है।

इसी तरह, सौराष्‍ट्र और कच्छ सब डिविजन ने भी पहले 14 दिन में ही जुलाई के सामान्य 195.6 मिमी के स्‍तर को पार कर लिया है। यहां अब तक 195.9 मिमी वर्षा (सामान्‍य से 159 प्रतिशत अधिक) हो चुकी है। सूची में अगला स्थान पंजाब का है जहां अब तक 153.8 मिमी बारिश हुई है जो सामान्य से 124 प्रतिशत अधिक है। हरियाणा, चंडीगढ़ और दिल्ली सब डिविजन में पहले दो सप्‍ताह के दौरान 133.8 मिमी बारिश देखी गई है, जो दीर्घ कालिक औसत 63.6 मिमी से 110 प्रतिशत अधिक है।

पश्चिमी राजस्थान सब डिविजन में भी दोगुनी से अधिक बारिश हुई है। यहां अब तक 74.9 मिमी बारिश हो चुकी है जबकि 1-14 जुलाई के दौरान यहां औसत बारिश 36.8 मिमी होती है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में जुलाई में अब तक 187.2 मिमी बारिश हुई है जो सामान्य से 90 फीसदी अधिक है। इसी तरह, उत्तराखंड में 298.7 मिमी (71 प्रतिशत अधिक) बारिश हुई है, जबकि औसत 174.5 मिमी है। इन सातों सब डिविजनों के अलावा पूर्वी राजस्थान में भी सामान्य से 54 फीसदी अधिक बारिश हुई है। जुलाई में अब तक यहां 132.4 मिमी बारिश हुई है जबकि सामान्‍य 85.8 मिमी है।

उल्‍लेखनीय है कि हरियाणा, चंडीगढ़ और दिल्ली को छोड़कर, इन सभी उपमंडलों में आमतौर पर जुलाई के दौरान ही अधिकांश मानसूनी वर्षा होती है। हरियाणा, चंडीगढ़ और दिल्ली में अगस्त के दौरान सबसे अधिक बारिश होती है, उसके बाद जुलाई में। जहां उत्तर भारत में बाढ़ की स्थिति बनी हुई है, वहीं एनएमएमटी (45 प्रतिशत की कमी), झारखंड (50 प्रतिशत की कमी), पश्चिम बंगाल में गंगा के मैदानी इलाके (59 प्रतिशत की कमी), ओडिशा (38 प्रतिशत की कमी), छत्तीसगढ़ (34 प्रतिशत की कमी) और रायलसीमा (29 प्रतिशत की कमी) जैसे सब डिविजन में अब तक कमजोर मानसून गतिविधि देखी गई है।

कुल मिलाकर, पूरे मानसून सीजन (1 जून से 14 जुलाई) के दौरान 284.6 मिमी के एलपीए के मुकाबले 286.3 मिमी बारिश हुई है जो सामान्य की श्रेणी में है। आईएमडी ने अपने नवीनतम पूर्वानुमान में जुलाई में सामान्य मानसून की भविष्यवाणी की है। आईएमडी ने कहा, “जुलाई 2023 के दौरान पूरे देश में औसत मासिक वर्षा सामान्य (एलपीए का 94 से 106 प्रतिशत के बीच) होने की संभावना है और संभवतः सामान्य ज्‍यादा की तरफ रहेगी। जुलाई के दौरान देश भर में वर्षा का एलपीए लगभग 280.4 मिमी है, जो 1971-2020 के आंकड़ों पर आधारित है।”

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