मराठा आरक्षण: मनोज जरांगे ने अनशन खत्म करने से पहले की सरकारी आदेश में संशोधन की मांग

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जालना/औरंगाबाद (महाराष्ट्र). महाराष्ट्र (Maharashtra) में मराठा समुदाय को आरक्षण (Maratha Reservation) देने की मांग को लेकर राज्य के जालना जिले में अनशन कर रहे मनोज जरांगे (Manoj Jarange) ने बृहस्पतिवार को राज्य सरकार से मांग की कि वह मराठवाड़ा इलाके में रहने वाले मराठा समुदाय को अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के तहत आरक्षण लाभ देने के लिए कुनबी जाति प्रमाणपत्र जारी करने के वास्ते वंशावली नियमों की शर्तों को वापस ले। इस बीच, राज्य के एक पूर्व मंत्री ने 10 दिन से मराठा आरक्षण की मांग को लेकर अनशन पर बैठे जरांगे से मुलाकात की और उनसे अनशन समाप्त करने की अपील की।

जरांगे सरकारी नौकरियों और शिक्षा में मराठा समुदाय के लिए आरक्षण की मांग को लेकर जालना जिले के अंतरवाली सारथी गांव में 29 अगस्त से अनिश्चितकालीन अनशन पर बैठे हैं। उन्होंने अनशन समाप्त करने से पहले मराठवाड़ा क्षेत्र के मराठा समुदाय के सदस्यों को कुनबी जाति प्रमाण पत्र जारी करने को लेकर आए सरकारी प्रस्ताव (जीआर) में संशोधन की मांग की है।

प्रदर्शन स्थल पर संवाददाताओं से बातचीत में जरांगे ने कहा कि वह जीआर का स्वागत करते हैं लेकिन मध्य महाराष्ट्र के मराठवाड़ा से संबंधित मराठाओं को कुनबी जाति प्रमाण पत्र जारी करते समय वंशावली संबंधी प्रमाण पत्र प्रस्तुत करने की शर्त हटाई जानी चाहिए। बृहस्पतिवार को जारी जीआर में कहा गया है कि कुनबी जाति प्रमाण पत्र उन्हीं को जारी किया जाएगा जिनके पास निजाम शासन के दौरान के वंशावली रिकॉर्ड हैं।

राज्य मंत्रिमंडल ने बुधवार को फैसला किया था कि इलाके में रहने वाले समुदाय के उन लोगों को प्रमाणपत्र जारी किया जाएगा जिनके पास निजाम शासन के दौरान बने एवं कुनबी जाति का उल्लेख करने वाले राजस्व और शैक्षणिक अभिलेख हैं। मराठवाड़ा क्षेत्र महाराष्ट्र का हिस्सा बनने से पहले तत्कालीन निजाम शासित हैदराबाद राज्य के अंतर्गत आता था।

मंत्रिमंडल के फैसले के बाद जीआर जारी किया गया और आदेश की प्रति एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी के माध्यम से आरक्षण कार्यकर्ता को भेजी गई। जरांगे ने तर्क दिया कि आरक्षण लाभों तक उचित पहुंच सुनिश्चित करने के लिए ऐसी शर्त को हटा दिया जाना चाहिए। कुनबी, कृषि से जुड़ा एक समुदाय है, जिसे महाराष्ट्र में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) श्रेणी के अंतर्गत वर्गीकृत किया गया है और उन्हें शिक्षा और सरकारी नौकरियों में आरक्षण का लाभ प्राप्त होता है।

मंत्रिमंडल के फैसले के बाद, कुनबी के रूप में मान्यता प्राप्त मराठवाड़ा के मराठा समुदाय के सदस्य ओबीसी आरक्षण का लाभ उठा सकते हैं। राज्य के पूर्व मंत्री अर्जुन खोतकर ने जरांगे से मुलाकात की और उनसे अपना अनिश्चितकालीन अनशन खत्म करने का आग्रह किया। जवाब में, जरांगे ने जीआर में उनकी मांग के अनुरूप संशोधन के बाद ही भूख हड़ताल समाप्त करने की मंशा जताई। इस अवसर पर खोतकर ने कहा, “हम इस संकल्प (आरक्षण) के प्रति प्रतिबद्ध हैं और मैंने इसे लिखित में दिया है। मैं मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की ओर से आया हूं।” उन्होंने आरक्षण के मुद्दे पर आगे की चर्चा के लिए जरांगे को मुंबई आने का न्योता दिया।

खोतकर ने कहा, “मुख्यमंत्री ने मुझे जरांगे और उनके प्रतिनिधिमंडल को मुंबई ले जाने की जिम्मेदारी सौंपी है। हम इस मामले पर गहन चर्चा के लिए कानूनी विशेषज्ञों से बातचीत करेंगे।” उन्होंने दावा किया कि जरांगे ने मराठा आरक्षण के मुद्दे पर चर्चा के लिए सकारात्मक प्रतिक्रिया दी। मंत्रिमंडल द्वारा जीआर जारी करने का फैसला एक सितंबर को जालना जिले में आरक्षण समर्थक प्रदर्शनकारियों पर पुलिस कार्रवाई और पूरे राज्य में इसके खिलाफ मराठा समुदाय के सदस्यों के विरोध प्रदर्शन के बाद आया है।

पुलिस ने अंतरवाली सारथी गांव में भीड़ को तितर-बितर करने के लिए लाठीचार्ज किया था और आंसू गैस के गोले छोड़े थे। हिंसा तब शुरू हुई थी जब प्रदर्शनकारियों ने कथित तौर पर अधिकारियों को जरांगे को अस्पताल नहीं ले जाने दिया। हिंसा में 40 पुलिसकर्मियों सहित कई लोग घायल हो गए थे और प्रदर्शनकारियों ने राज्य परिवहन की 15 से अधिक बसों में आग लगा दी थी।

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