वक्फ संशोधन विधेयक पर सियासत गरम, मुस्लिमों के पक्ष में खुलकर उतरी बसपा; कानून के दुरुपयोग पर साथ खड़ी रहेंगी मायावती
लखनऊ: वक्फ संशोधन विधेयक 2025 के पारित होने के बाद राजनीतिक माहौल गरम हो गया है। बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) प्रमुख मायावती ने सरकार पर आरोप लगाया कि इस विधेयक को जल्दबाजी में लाया गया और इसे बिना पर्याप्त चर्चा के पारित करवा लिया गया। उन्होंने कहा कि यदि इस विधेयक का दुरुपयोग किया गया, तो उनकी पार्टी मुस्लिम समुदाय का समर्थन करेगी।
बसपा सुप्रीमों मायावती ने कहा कि इसे कि विधेयक को बिना उचित परामर्श और जनता की शंकाओं को दूर किए बिना ही पारित किया गया है। जो कि उचित नहीं है, आगे उन्होंने कहा कि अगर इसका दुरुउपयोग हुआ तो BSP मुस्लिम समुदाय के साथ रहेगी।
मायावती का विरोध, कांग्रेस का हमला
मायावती ने सरकार पर आरोप लगाया कि विधेयक को बिना उचित परामर्श और जनता की शंकाओं को दूर किए पारित किया गया, जो उचित नहीं था। उन्होंने स्पष्ट किया कि अगर इसका दुरुपयोग हुआ, तो बीएसपी मुस्लिम समुदाय का साथ देगी। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने सरकार के रुख को “नकारात्मक” बताते हुए इसे जल्दबाजी में उठाया गया कदम बताया। कांग्रेस सांसद रंजीत रंजन ने भी इसे असंवैधानिक करार दिया और कहा कि यह विधेयक मुस्लिम समुदाय को निशाना बनाने के लिए लाया गया है।
सरकार का बचाव, विधेयक में किए गए बदलाव
केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू ने विपक्षी दलों पर विधेयक को लेकर भ्रम फैलाने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि यह विधेयक वक्फ संपत्तियों के प्रशासन को बेहतर बनाने के लिए लाया गया है और इसमें पारदर्शिता लाने के लिए कई सुधार किए गए हैं। इसके अलावा, विधेयक का नाम बदलकर ‘उम्मीद’ (एकीकृत वक्फ प्रबंधन सशक्तीकरण दक्षता और विकास) विधेयक रखा जाएगा। सरकार ने संयुक्त संसदीय समिति की सिफारिशों को शामिल कर इसे संशोधित रूप में पेश किया था।
तकनीक के उपयोग से बेहतर प्रबंधन
विधेयक 1995 के अधिनियम में संशोधन कर वक्फ बोर्डों की दक्षता बढ़ाने, पंजीकरण प्रक्रिया को सरल बनाने और प्रौद्योगिकी के उपयोग से वक्फ संपत्तियों का बेहतर प्रबंधन सुनिश्चित करने का प्रयास करता है। बता दें कि कांग्रेस ने इस विधेयक का विरोध जताते हुए इसे एक खास समुदाय के खिलाफ बताया है। दूसरी ओर, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे पारदर्शिता और समावेशी विकास की दिशा में अहम कदम बताया है। संसद में लंबी बहस के बाद यह विधेयक पारित हुआ, जिसमें 128 सांसदों ने समर्थन किया, जबकि 95 ने विरोध किया।