यूपी। बसपा सुप्रीमो मायावती ने कहा कि यदि आज सपा कांशीराम के नाम को भुनाने की पैंतरे बाजी कर रही है जबकि उनका कांशीराम के प्रति अहसान फरामोशी का इतिहास लोगों के सामने है। इसके कारण ही वर्ष 1995 में गेस्ट हाउस कांड हुआ और सपा बसपा का गठबंधन टूटा। सपा अगर कांशीराम की मिशनरी सोच के साथ गठबंधन सरकार चलाती रहती तो यह गठबंधन आज देश पर राज कर रहा होता। इसी का लाभ आज भाजपा उठा रही है। वह रविवार को निकाय चुनाव के मद्देनजर पार्टी के प्रदेश कार्यालय पर पदाधिकारियों की बैठक ले रहीं थीं।
सभी कोआर्डिनेटरों, जिलाध्यक्षों के साथ मायावती ने शहरी निकाय चुनाव को लेकर चर्चा की। कहा कि निकाय चुनाव में उम्मीदवारों का चयन सोच-समझकर किया जाए। उन्हीं लोगों को प्राथमिकता दें जो अपने क्षेत्र के लोगों के बीच रहते हों। उनकी आवाज उठाते हों। कहा कि चुनाव में सरकारी मशीनरी के दुरुपयोग तथा विरोधियों के हथकंडों से खुद को बचाना है। कुचक्रों को तोड़ना है। लोग इस समय महंगाई, गरीबी, बेरोजगारी, बदहाल कानून व्यवस्था से त्रस्त हैं। भाजपा इन सब मुद्दों पर फेल हो गई है। स्मार्ट सिटी अभियान केवल कागजों में हैं । शहरों की तो छोड़ो, गांवों तक की हालत खराब है। इस सरकार ने सब कुछ ठेके पर कर दिया है। इस ठेका प्रथा के चलते स्थाई नौकरी लोगों के लिए दूर का सपना हो गई है । सरकार शह खर्चीला विकास कर ढिंढोरा पीट रही है। विकास तो केवल मुट्ठी भर सत्ताधारी लोगों का हुआ है। सपा की दलित, अति पिछड़ा व मुस्लिम समाज के प्रति खराब सोच व गलत रवैये के कारण ही पहले भी सपा बसपा का गठबंधन टूटा था। आज भी सपा भाजपा से लड़ने की बजाय बसपा को कमजोर करने का काम करने से बाज नहीं आ रही है। इसका लाभ भाजपा उठा रही है। जनता को सब याद है।
मायावती पार्टी के गांव चलो अभियान को लेकर खफा नजर आईं। उन्होंने कहा कि पार्टी के जनाधार को बढ़ाने वाले इस अभियान की कमियों को दूर कर इसे ओर तेज किया जाए। इस चुनाव में पूरा फोकस करें और सभी कार्यकर्ताओं में क्षेत्र में जुट जाने के लिए कहें। कोआर्डिनेटर खुद भी जनता के बीच ज्यादा समय दें। इस मौके पर पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव सतीश चंद्र मिश्रा, प्रदेश अध्यक्ष विश्वनाथ पाल आदि मौजूद थे।