देश में आज से लागू हो जाएगी आदर्श आचार संहिता, जानें किन-किन चीजों पर रहेगी पाबंदी

0 67

नई दिल्‍ली (New Delhi) । चुनाव आयोग (election Commission) आज लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Elections) के लिए तारीखों का ऐलान करने जा रहा है। इसके साथ ही पूरे देश में चुनाव आदर्श आचार संहिता (एमसीसी) भी प्रभावी हो जाएगी, जिसकी उत्पत्ति 1960 में केरल विधानसभा चुनाव के दौरान हुई थी। उस समय प्रशासन ने राजनीतिक दलों के लिए एक आचार संहिता (Code of conduct) बनाने की कोशिश की थी। निर्वाचन आयोग के मुताबिक आचार संहिता के मौजूदा स्वरूप पिछले 60 साल के प्रयासों और विकास का नतीजा है।

आदर्श आचार संहिता चुनावों के दौरान सभी हितधारकों द्वारा स्वीकार्य नियम है। इसका उद्देश्य प्रचार, मतदान और मतगणना को व्यवस्थित, स्वच्छ और शांतिपूर्ण रखना और सत्तारूढ़ दलों द्वारा राज्य मशीनरी और वित्त के किसी भी दुरुपयोग को रोकना है। परंतु, इसे कोई वैधानिक मान्यता प्राप्त नहीं है।

हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने कई मौकों पर इसकी सुचिता को बरकरार रखा है। चुनाव आयोग आचार संहिता के किसी भी उल्लंघन की जांच करने और सजा सुनाने के लिए पूरी तरह से अधिकृत है। निर्वाचन आयोग द्वारा चुनाव कार्यक्रम की घोषणा किए जाने के साथ ही यह संहिता लागू हो जाती है और निर्वाचन प्रक्रिया समाप्त होने तक लागू रहती है।

‘लीप ऑफ फेथ’ शीर्षक से प्रकाशित किताब में लिखा गया है, ‘‘संहिता पिछले 60 वर्षों में विकसित होकर अपना वर्तमान स्वरूप ग्रहण कर चुकी है। इसकी उत्पत्ति केरल में 1960 के विधानसभा चुनावों के दौरान हुई थी, जब प्रशासन ने राजनीतिक दलों के लिए ‘आचार संहिता’ विकसित करने का प्रयास किया था।’’ भारत में चुनावों की यात्रा का दस्तावेजीकरण करने के लिए निर्वाचन आयोग ने यह पुस्तक प्रकाशित की थी।

किताब में लिखा गया, ‘‘आदर्श आचार संहिता पहली बार भारत के निर्वाचन आयोग द्वारा ‘न्यूनतम आचार संहिता’ के शीर्षक के तहत 26 सितंबर, 1968 को मध्यावधि चुनाव 1968-69 के दौरान जारी की गई थी। इस संहिता को 1979, 1982, 1991 में 2013 में और संशोधित किया गया।’’

‘‘चुनावों के दौरान राजनीतिक दलों की भूमिका और जिम्मेदारियां: चुनाव प्रचार और अभियान के दौरान न्यूनतम आचार संहिता के पालन के लिए राजनीतिक दलों से एक अपील’’, मानक राजनीतिक व्यवहार का निर्धारण करने वाला एक दस्तावेज है और 1968 और 1969 के मध्यावधि चुनाव के दौरान आयोग ने तैयार किया था।

निर्वावन आयोग ने 1979 में राजनीतिक दलों के एक सम्मेलन में ‘‘सत्ता में दलों’’ के आचरण की निगरानी करने वाला एक अनुभाग जोड़कर संहिता को समेकित किया। शक्तिशाली राजनीतिक अभिनेताओं को उनकी स्थिति का अनुचित लाभ प्राप्त करने से रोकने के लिए एक व्यापक ढांचे के साथ एक संशोधित संहिता जारी किया गया था।

एक संसदीय समिति ने 2013 में सिफारिश की थी कि आदर्श आचार संहिता को वैधानिक जामा पहनाया जाना चाहित ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि निर्वाचन आयोग को अपनी शक्ति का इस्तेमाल करने के लिए कोई रिक्तता नहीं हो।

समिति ने यह भी सिफारिश की थी कि आदर्श आचार संहिता को चुनाव की अधिसूचना की तारीख से लागू किया जाए, न कि घोषणा की तारीख से; इसे और अधिक यथार्थवादी बनाने के लिए उम्मीदवारों की चुनाव व्यय सीमा में संशोधन; फास्ट-ट्रैक अदालतें 12 महीने के भीतर चुनावी विवादों का निपटारा करें और निदर्लीय सांसदों को चुनाव के छह महीने के भीतर किसी भी राजनीतिक दल में शामिल होने की अनुमति हो।

पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एसवाई कुरैशी अपने कार्यकाल के दौरान आदर्श आचार संहिता को वैधानिक बनाने का जोरदार समर्थन किया। उन्होंने इसका उल्लंघन करने वाले नेताओं के खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई का सुझाव दिया था।

निर्वाचन आयोग के अनुसार, आदर्श आचार संहिता का कहना है कि केंद्र और राज्यों में सत्ता में रहने वाली पार्टी को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि वह प्रचार के लिए अपनी आधिकारिक स्थिति का उपयोग न करे।

आदर्श आचार संहिता के मुताबिक मंत्री और अन्य सरकारी अधिकारी किसी भी रूप में वित्तीय अनुदान की घोषणा नहीं कर सकते। किसी भी परियोजना या योजना की घोषणा नहीं की जा सकती है जिसका प्रभाव सत्ता में पार्टी के पक्ष में मतदाताओं को प्रभावित करने वाला हो, और मंत्री प्रचार उद्देश्यों के लिए आधिकारिक मशीनरी का उपयोग नहीं कर सकते हैं।

भारत 18वें लोकसभा के चुनाव के लिए तैयारी कर रहा है, जिसका कार्यक्रम शनिवार को घोषित किया जाएगा। देश में आखिरी आम चुनाव 2019 में हुए थे।

नोट: अगर आपको यह खबर पसंद आई तो इसे शेयर करना न भूलें, देश-विदेश से जुड़ी ताजा अपडेट पाने के लिए कृपया Vnation के Facebook पेज को LikeTwitter पर Follow करना न भूलें...
Leave A Reply

Your email address will not be published.