नई दिल्ली : नरेंद्र मोदी सरकार की सफल कूटनीति का नतीजा ही रहा कि कतर में मौत की सजा पाए भारतीय नौसेना के 8 पूर्व अफसरों को रिहाई मिल पाई। वह सुरक्षित स्वदेश लौट आए। वहीं रूस और यूक्रेन के युद्धग्रस्त इलाके से भी इस तरह का वीडियो वायरल होने लगा कि कुछ भारतीय यूक्रेन में फंसे हुए हैं और रूस के लिए लड़ रहे हैं। उन वीडियो में यह बताया गया कि उन्हें नौकरी के फर्जी वादे के तहत रूस ले जाया गया और रूस की निजी सेना वैगनर ग्रुप में शामिल कराया गया और यूक्रेन के खिलाफ युद्ध में उतार दिया गया है। वीडियो में सभी पीएम मोदी से उन्हें सुरक्षित भारत वापस लाने की गुहार लगाते नजर आ रहे थे।
इस पर भारत के विदेश मंत्रालय की तरफ से हर संभव मदद का भरोसा दिलाया गया और कहा गया कि रूसी सेना के साथ सपोर्ट स्टाफ के रूप में काम कर रहे लोगों को सुरक्षित भारत लाने का प्रयास किया जा रहा है। विदेश मंत्रालय इसको लेकर मॉस्को से लगातार संपर्क में बनी हुई है।
बता दें कि नरेंद्र मोदी सरकार की सफल विदेश नीति का ही नतीजा रहा है कि विदेशों में फंसे भारतीयों को हर आपात स्थिति में दुनिया के किसी कोने से भी निकालने में हम सक्षम रहे हैं। इतना ही नहीं भारतीय नागरिकों के अलावा विदेशी नागरिकों को भी लगातार ऐसी स्थिति में भारत ने हर संभव मदद किया और अपने नागरिकों के साथ दूसरे देश के नागरिकों को जिनको सुरक्षा की जरूरत थी, मुहैया कराकर सुरक्षित वहां से बाहर लेकर आए।
नरेंद्र मोदी के आने के बाद से विदेशों में जिस तरह से भारत की धाक जमी और विदेश नीति पर जिस तरह से ध्यान दिया गया उसी का नतीजा है कि भारत ग्लोबल लीडर के तौर पर उभर कर सामने आ रहा है। रूस-यूक्रेन के बीच का युद्ध हो या फिलिस्तीन-इजरायल की जंग सभी भारत की तरफ देख रहे हैं कि उनके द्वारा इसकी मध्यस्थता की जाए।
पूरी दुनिया में जहां भी किसी तरह का संकट या आपदा की स्थिति बनी वहां से भारतीयों को बाहर निकालने में मोदी सरकार ने सफलता पाई और यह उनकी कूटनीतिक जीत के तौर पर देखा जा सकता है। भारत सरकार का विदेश मंत्रालय दुनिया भर के संकटग्रस्त देशों में फंसे अपने नागरिकों को निकालने के लिए रेस्क्यू ऑपरेशन चलाता रहा है। बीते नौ सालों में विदेश मंत्रालय ने कई देशों से हजारों भारतीयों को सुरक्षित बाहर निकाला है।
मोदी सरकार की सफल विदेश नीति का ही नतीजा रहा कि ऑपरेशन गंगा के तहत युद्धग्रस्त यूक्रेन से 22,500 से अधिक भारतीयों को निकाला गया। वहां भारतीय झंडों को इतना सम्मान मिला कि गाड़ी पर लगे तिरंगे को देखकर ही उन्हें युद्ध ग्रस्त क्षेत्र से बाहर निकलने का रास्ता रूसी और यूक्रेनी दोनों सेना दे रही थी।
वैसे ही ऑपरेशन कावेरी के तहत 2023 में सूडान में फंसे 3,800 से ज्यादा भारतीयों को वहां से बाहर निकालकर स्वदेश वापस लाया गया था। अफगानिस्तान में तालिबान के द्वारा कब्जा किए जाने के साथ साल 2021 में ऑपरेशन देवी शक्ति के तहत लगभग 1,200 लोगों की सुरक्षित वतन वापसी कराई गई थी। इन लोगों में अफगान हिंदू/सिख अल्पसंख्यक समुदाय से ताल्लुक रखने वाले 206 अफगान भी शामिल थे। पीएम मोदी खुद इस अभियान पर पैनी नजर बनाए हुए थे।
यमन में सरकार और हूती विद्रोहियों के बीच जंग छिड़ी तो 2015 में मोदी सरकार के द्वारा चलाए गए ऑपरेशन राहत के तहत वहां से लगभग 5,600 लोगों को निकाला गया था। वहीं फरवरी 2019 में विंग कमांडर अभिनंदन वर्धमान के पाकिस्तान की सीमा में एफ-16 लड़ाकू विमान का पीछा करते हुए पहुंचने और उसे वहां ध्वस्त कर देने के बाद उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया था। भारत सरकार के कड़े एक्शन के खौफ के चलते पाकिस्तान ने विंग कमांडर को सुरक्षित वाघा बॉर्डर के रास्ते भारत भेजा था। इसके साथ ही कोरोना महामारी के दौरान मोदी सरकार ने विदेशों में फंसे भारतीयों को वापस लाने के लिए वंदे भारत मिशन चलाया था। इस मिशन के तहत लाखों की संख्या में भारतीयों को स्वदेश लाया गया था।
वहीं 2015 में नेपाल में आए भूकंप के बाद सरकार की तरफ से ऑपरेशन मैत्री चलाया गया था। इसके तहत सेना-वायु सेना के संयुक्त ऑपरेशन में 5,000 से अधिक भारतीयों की सुरक्षित स्वदेश वापसी हुई थी। भारतीय सेना ने इस दौरान अमेरिका, ब्रिटेन, रूस और जर्मनी के 170 विदेशी नागरिकों को भी वहां से सफलतापूर्वक निकाला था।