नई दिल्ली : आमतौर पर 10 साल में एक वेतन (Salary) आयोग आता रहा है, लेकिन मोदी (Modi) सरकार इस परंपरा (legacy) को बदलने पर विचार (Idea) कर रही है। वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने संसद में वेतन आयोग को लेकर पूछे सवाल के जवाब में जानकारी दी है।
सरकारी कर्मचारियों के वेतनमान में बदलाव के लिए 2014 में 7वां वेतन आयोग आया था, जिसकी सिफारिशों को 2016 में लागू किया गया था। केंद्रीय कर्मचारियों को इसके आधार पर ही फिलहाल सैलरी मिलती है और डीए आदि तय होते हैं। इस बीच अकसर चर्चा उठती है कि सरकार 8वां वेतन आयोग कब ला रही है। इस पर मोदी सरकार के वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने राज्यसभा में स्थिति साफ कर दी। उन्होंने कहा कि केंद्रीय कर्मचारियों और पेंशनरों के लिए फिलहाल 8वां वेतन आयोग लाने का कोई प्लान नहीं है। आमतौर पर 10 साल में एक वेतन आयोग आता रहा है, लेकिन मोदी सरकार इस परंपरा को बदलने पर विचार कर रही है।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि हम सैलरी स्ट्रक्चर में कोई भी बदलाव 10 साल की लिमिट से पहले करने पर विचार नहीं कर रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि कर्मचारियों की पे मैट्रिक्स की समीक्षा और उसमें संशोधन के लिए कोई नई व्यवस्था तैयार होनी चाहिए, जिस पर काम कर रहे हैं। दरअसल केंद्र सरकार की ओर से कई बार यह कहा जा चुका है कि हम परफॉर्मेंस आधारित व्यवस्था लाना चाहते हैं ताकि कर्मचारियों को उनके कामकाज के आधार पर रेटिंग मिले और फिर उस हिसाब से ही सैलरी में इजाफा किया जाए।
सरकार एक बार यह भी कह चुकी है कि सातवें वेतन आयोग की सिफारिश के मुताबिक केंद्रीय कर्मचारियों और पेंशनर्स को दिए जाने वाले वेतन, भत्ते और पेंशन के स्ट्रक्चर में बदलाव के लिए नए आयोग के गठन की जरूरत नहीं है। खुद पंकज चौधरी ही संसद में एक बार पहले भी कह चुके हैं कि Aykroyd फॉर्मूले के आधार पर सभी भत्तों और वेतन की समीक्षा की जा सकती है।
इस बीच सरकार जल्दी ही केंद्रीय कर्मचारियों के लिए महंगाई भत्ते की घोषणा कर सकती है। सरकार साल में दो बार महंगाई भत्ते में इजाफा करती है। पहला जनवरी से जून तक की अवधि के लिए होता है और दूसरा जुलाई से दिसंबर तक की अवधि के लिए होता है। फिलहाल सरकार कर्मचारियों को 42 फीसदी महंगाई भत्ता मिलता है, जिसमें 4 पर्सेंट का इजाफा किया जा सकता है।