वक्फ बोर्ड के अधिकारों पर अंकुश लगाने की तैयारी, मोदी सरकार करेंगी एक्‍ट में बदलाव

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नई दिल्‍ली : केंद्र सरकार ने वक्फ बोर्ड के अधिकारों पर अंकुश लगाने की तैयारी शुरू कर दी है। वर्ष 1995 में पीवी नरसिम्हा राव की नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार ने वक्फ एक्ट में पहली बार बदलाव करते हुए वक्फ बोर्ड की ताकत को बढ़ा दिया था। हालांकि, 2013 में मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली यूपीए-2 सरकार में वक्फ एक्ट में फिर संशोधन हुआ।

देश के आजाद होने के सात साल बाद 1954 में वक्फ अधिनियम पहली बार पारित हुआ था। तब देश के प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू थे और उनकी सरकार वक्फ अधिनियम लेकर आई। हालांकि, बाद में इसे निरस्त कर दिया गया। एक साल बाद 1955 में फिर से नया वक्फ अधिनियम लाया गया। इसमें वक्फ बोर्डों को अधिकार दिए गए। नौ साल बाद 1964 में केंद्रीय वक्फ परिषद का गठन किया गया, जो अल्पसंख्यक मंत्रालय के अधीन था। इसका काम वक्फ बोर्ड से संबंधित कामकाज के बारे में केंद्र को सलाह देना होता है।

वक्फ परिषद के गठन के लगभग 30 साल बाद साल 1995 में पीवी नरसिम्हा राव सरकार ने वक्फ एक्ट में पहली बार बदलाव किया। उस संशोधन के बाद वक्फ बोर्ड के पास जमीन अधिग्रहण के असीमित अधिकार आ गए। 8 दिसंबर, 2023 को वक्फ बोर्ड (एक्ट) अधिनियम 1995 को निरस्त करने का प्राइवेट मेंबर बिल राज्यसभा में पेश किया गया था। यह बिल उत्तर प्रदेश से भाजपा सांसद हरनाथ सिंह यादव ने पेश किया था। राज्यसभा में इस बिल को लेकर विवाद भी हुआ और उस दौरान इस बिल के लिए मतदान भी कराया गया। तब बिल को पेश करने के समर्थन में 53, जबकि विरोध में 32 सदस्यों ने मत दिया। उस दौरान भाजपा सांसद ने कहा था कि ‘वक्फ बोर्ड अधिनियम 1995’ समाज में द्वेष और नफरत पैदा करता है।

वर्तमान में वक्फ बोर्ड के पास 8,65,644 अचल संपत्तियां हैं। अल्पसंख्यक मंत्रालय ने दिसंबर 2022 में इसके बारे में लोकसभा में जानकारी दी थी। हालांकि, सबसे अधिक विवाद वक्फ के अधिकारों को लेकर है। क्योंकि वक्फ एक्ट के सेक्शन 85 में इस बात पर जोर दिया गया है कि बोर्ड के फैसले को कोर्ट में चुनौती नहीं दी जा सकती। वक्फ पर विवाद अंग्रेजों के जमाने से है। वक्फ की संपत्ति पर कब्जे का विवाद लंदन स्थित प्रिवी काउंसिल तक पहुंचा था। अंग्रेजी हुकूमत के दौरान ब्रिटेन में जज की एक पीठ बैठी और उन्होंने इसे अवैध करार दिया लेकिन, ब्रिटिश भारत की सरकार ने इसे नहीं माना और इसे बचाने के लिए 1913 में एक नया एक्ट लाई।

वक्फ एक अरबी शब्द है। जिसका अर्थ होता है खुदा के नाम पर अर्पित वस्तु। वक्फ बोर्ड के अधिकार में चल और अचल संपत्तियां आती हैं। इन संपत्तियों के रखरखाव के लिए राष्ट्रीय से लेकर राज्य स्तर पर वक्फ बोर्ड होता है। वक्फ बोर्ड को जो संपत्ति दान दी जाती है, उससे गरीबों की मदद की जाती है। वरिष्ठ भाजपा नेता और पूर्व मंत्री मोहसिन रजा ने कहा कि यदि केंद्र सरकार वक्फ बोर्ड की शक्तियों पर अंकुश लगाने के लिए कोई विधेयक लाती है तो वह उसका स्वागत करेंगे। मोहसिन रजा वर्तमान में उत्तर प्रदेश हज कमेटी के चेयरमैन हैं।

भाजपा नेता ने कहा कि लाखों वक्फ संपत्तियां हैं। देश भर में लोगों को न्याय नहीं मिल रहा है। वक्फ बोर्ड अपनी शक्तियों से परे जाते हैं और लोगों को परेशान करते हैं। ऐसी कई संपत्तियां हैं, कई ऐसे मुद्दे हैं जो सीधे सरकार के पास आने चाहिए। उन्होंने कहा कि वक्फ का निर्माण पिछड़े मुसलमानों के उत्थान के लिए किया गया था, लेकिन इसका सही से उपयोग नहीं किया गया, बल्कि दुरुपयोग किया गया। वक्फ की जो संपत्तियां अवैध रूप से कुछ लोगों के कब्जे में आ गई हैं, उन्हें मुक्त कराने की जरूरत है। अवैध रूप से लगे बोर्ड भी हटाए जाने चाहिए।

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