नई दिल्ली: बजट पेश होने में बस कुछ दिन बचे हैं. इस बार सरकार बजट में किसानों को बड़ा तोहफा दे सकती है. 2024 के आम चुनावों से पहले अपने आखिरी पूर्ण बजट में सरकार पीएम किसान सम्मान निधि (PM Kisan) की राशि को 6,000 रुपये से बढ़ाकर 8,000 रुपये सालाना कर सकती है.
सूत्रों के मुताबिक कृषि मंत्रालय की ओर से बजट में इस योजना को बेहतर बनाने की सिफारिश की गई है. प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) भी इस योजना के पक्ष में है. इस योजना का सरकार को सीधा राजनीतिक लाभ भी होता है, क्योंकि ये किसान सम्मान निधि देश में हाशिए पर रह रहे किसानों तक सीधे पहुंचती है.
सूत्रों ने बताया कि सरकार इस योजना की साल में मिलने वाली 3 किश्त को बढ़ाकर 4 कर सकती है. बजट में इसका ऐलान किया जा सकता है. अभी किसानों को साल में 3 बार 2000-2000 रुपये की किश्त सीधे खाते में भेजी जाती है. किश्तों की संख्या 4 करने पर किसानों को मिलने वाली सम्मान निधि बढ़कर 8,000 रुपये सालाना हो जाएगी. यानी लाभार्थी किसानों को सीधा 2,000 रुपये का फायदा होगा.
बीते साल आम बजट 2022 में भी पीएम किसान योजना की किश्त की रकम बढ़ाने की मांग जोरों पर थी. लेकिन तब सरकार ने कोरोना महामारी के दौर से देश की अर्थव्यवस्था को संबल देने के लिए अन्य उपायों पर जोर दिया. लेकिन बीते एक साल में कृषि क्षेत्र में प्रयोग में लायी जाने वाली सामग्रियों की कीमतों में इजाफा हुआ है. किसानों को खाद, बीज, उर्वरक, कीटनाशक, कृषि यंत्र आदि खरीदने के लिए पैसों की जरूरत होती है और इनके दाम बढ़ चुके हैं. इस बात को ध्यान में रखते हुए किसानों की मदद के लिए सरकार योजना को बेहतर करके पेश करना चाहती है.
पीएम किसान निधि देश में किसानों के बहुत काम आती है. इससे किसान अपनी खाद, बीज, कीटनाशक और उर्वरक इत्यादि की जरूरत को पूरा करते हैं. इस योजना के तहत अब तक किसानों को 12 किश्तें मिल चुकी हैं. इसकी 13वीं किश्त आगामी 25 जनवरी को जारी की जा सकती है, जिसका किसानों को बेसब्री से इंतजार है. सरकार की इस योजना से देश के करीब 11 करोड़ से अधिक किसानों को लाभ पहुंचता है.
पीएम किसान निधि पूरी तरह से केंद्र सरकार से फंड पाने वाली योजना है. इस योजना का लाभ सिर्फ जरूरतमंद किसानों तक ही पहुंचे इसके लिए सरकार ने कई नियम शर्तें तय की हैं. इस योजना से सभी संस्थागत भूमि धारक, सभी वर्तमान और पूर्व सांसद के किसान परिवार, विधायक/एमएलसी, जिला पंचायतों के पूर्व और वर्तमान अध्यक्ष, सेवारत और सेवानिवृत्त सरकारी कर्मचारी, आयकर दाता और पेशेवर जैसे डॉक्टर, इंजीनियर, वकील, चार्टर्ड एकाउंटेंट को बाहर रखा गया है.
इस योजना में लगातार नए किसान जुड़ते रहते हैं. इसके लिए सरकार नियमित तौर पर डाटाबेस का अपडेशन करती रहती है. योजना के तहत राज्य/केंद्र शासित प्रदेश लाभार्थियों की पहचान और सत्यापन करते हैं. लाभार्थियों के डेटा के स्वचालित सत्यापन के लिए राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों की मदद करने के लिए, पीएम-किसान पोर्टल को आधार प्रमाणीकरण के लिए भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (UIDAI) के पोर्टल के साथ एकीकृत किया गया है.