नई दिल्ली: भारत-फ्रांस के बीच दशकों से करीबी और दोस्ताना संबंध रहा है. 1998 में दोनों देशों के बीच रणनीतिक साझेदारी हुई थी, जो आज नए आयाम छू रहा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के फ्रांस दौरे से संबंधों को और भी मजबूती मिलेगी. प्रधानमंत्री का हालिया फ्रांस दौरा सिर्फ रक्षा सौदों तक ही सीमित नहीं है. इसके अलावा और भी कई बड़े फैसले लिए गए हैं. रक्षा, अंतरिक्ष, इंडो-पैसिफिक सहित द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने की दिशा में कई मुद्दों पर सहमति बनी है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने 2047 तक का प्लान सेट किया है. भारत की आजादी और भारत-फ्रांस के बीच संबंधों के तब 100 साल पूरे होंगे, और रणनीतिक साझेदारी की 50वीं वर्षगांठ होगी. द्विपक्षीय संबंधों की मजबूती का एक लेवल यह भी है कि किसी भी दो देशों के नागरिकों के बीच इंगेजमेंट कैसा है. इस दिशा में फ्रांस ने ऐलान किया है कि वह 2030 तक 30 हजार भारतीय स्टूडेंट्स का स्वागत करेगा. इनके अलावा फ्रांस में मास्टर डिग्री तक की पढ़ाई करने वाले स्टूडेंट्स को शेंगेन वीजा जारी किए जाएंगे, जिससे भारतीय वहां रहकर काम कर सकेंगे.
भारत-फ्रांस के बीच लड़ाकू और पनडुब्बियों पर सहयोग जारी रखने पर सहमति बनी है. राफेल-मरीन जेट डील इसी का हिस्सा है. 26 राफेल-मरीन जेट की डील पक्की हुई है. 2005 में शुरू प्रोजेक्ट 75 प्रोग्राम की सफलता के बाद एक बार फिर टेक्नोलॉजी ट्रांसफर पर दोनों देश सहमत हुए हैं. इसी प्रोग्राम के तहत भारत ने स्कॉर्पिन क्लास सबमरीन का निर्माण किया है. अब स्कॉर्पिन क्लास की ही तीन और सबमरीन बनाई जाएगी. भारत के पास स्कॉर्पिन क्लास की छह सबमरीन हैं, जो भारत में ही पी75 प्रोग्राम के तहत बनाई गई है.
फ्रेंच स्पेस एजेंसी सीएनईएस और भारतीय स्पेस एजेंसी इसरो के बीच स्पेस में सहयोग बढ़ाने पर कई समझौते हुए हैं. इससे साइंटिफिक और कॉमर्शियल पार्टनरशिप को तेजी मिलेगी. खासतौर पर दोबारा इस्तेमाल किए जाने वाले लॉन्चर, अर्थ ऑब्जर्वेशन सेटेलाइट-TRISHNA को अंतिम रूप देने, हिंद महासागर में मैरीटाइम सर्विलांस सैटेलाइट और ऑर्बिट में इंडो-फ्रेंच सेटेलाइट को किसी भी तरह के नुकसान से बचाने कि दिशा में काम होगा.
सिविल न्यूक्लियर एनर्जी के क्षेत्र में दोनों देश पहले से ही काम कर रहे हैं. दोनों देशों ने रत्नागिरी के जैतापुर स्थित 6-ईपीआर पावर प्लांट प्रोजेक्ट का स्वातगत किया. हालिया द्विपक्षीय बाचीत में पीएम मोदी और मैक्रों के बीच छोटे मॉड्यूलर रिएक्टर और एडवांस्ड मॉड्यूलर रिएक्टर पर को-ऑपरेशन प्रोग्राम लॉन्च करने पर सहमत हुए हैं. इंडो-पैसिफिक में संयुक्त कार्रवाई के लिए भी रोडमैप तैयार किया गया है.
ब्लू इकोनॉमी की दिशा में दोनों देशों ने कदम उठाए हैं. इसपर पिछले साल ही करार हुआ था. इसी रोडमैप के तहत अब एक फ्रेंच यूनिवर्सिटी और भारत की नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ओशियन टेक्नोलॉजी के बीच साझेदारी शुरू की गई है. एनर्जी ट्रांजिशन के लिए सस्टेनेबल सिटीज प्रोग्राम ‘CITIIS 2.0’ के दूसरे चरण में फ्रेंच डेवलपमेंट एजेंसी की तरफ से 923 करोड़ रुपए का ऐलान किया गया है. इस प्रोग्राम को यूरोपीय यूनियन और जर्मनी के केएफडब्ल्यू की पार्टनर्शिप में पूरा किया जाना है. इनके अलावा भारत मार्सिले में कंसुलेट जनरल स्थापित करेगा और फ्रांस भी हैदराबाद में अपना ऑफिस खोलेगा. इससे समझा जा सकता है कि आने वाले समय में दोनों देशों के बीच सहयोग-साझेदारी और बढ़ेगी.