कानपुर: कानपुर जिले के भीतरगांव ब्लॉक मुख्यालय से तीन किमी दूर बसे बेहटा बुजुर्ग गांव के अति प्रचीन भगवान जगन्नाथ मंदिर के शिखर पर लगे मानसूनी पत्थर से छह जून की शाम से पानी टपकना शुरू हो चुका हैं। पानी की बूंदों का घनत्व अभी छोटी हैं। सप्ताह भर बाद बूंदों का आकार बढ़ने की उम्मीद है।
इलाके के लोग भगवान जगन्नाथ बाबा की कृपा मान मानसूनी बारिश को नजदीक होने के चलते खेती किसानी के काम निपटाना शुरू कर देंगे। भीतरगांव इलाके के बेहटा बुजुर्ग गांव में स्थित भगवान जगन्नाथ मंदिर के गर्भगृह के शिखर पर एक आयताकार पत्थर लगा है। प्रति वर्ष मई महीने में चिलचिलाती गर्मी के बीच उस पत्थर में पानी की छोटी-छोटी बूंदे आ जाती हैं। यही छोटी-छोटी बूंदे इकट्ठा होकर बड़ी बूंदों का आकार बनाकर मंदिर गर्भगृह के फर्श पर टपकती रहती हैं| बूंदों का टपकना तब तक जारी रहता है, जब तक कि मानसूनी बारिश शुरू न हो जाए।
छह जून की शाम दिखाई देने लगी हैं छोटी-छोटी बूंदे
बुजुर्गों के मुताबिक मानसूनी बारिश आने के एक पखवाड़ें के पहले मंदिर की छत से बूंदें टपकने लगती हैं और वर्षा शुरू होते ही छत का अंदरूनी भाग पूरी तरह सूख जाता है ।बेहटा बुजुर्ग निवासी मंदिर के पुजारी कुङहा प्रसाद शुक्ला व दिनेश शुक्ला बताते हैं कि छह जून की शाम गर्भगृह में लगे मानसूनी पत्थर से छोटी-छोटी बूंदे एकत्रित दिखाई देने लगी हैं।
20 से 25 जून के बीच शुरू हो जाएगी मानसूनी बारिश
कुछ बूंदे मंदिर के नीचे फर्श पर भी टपकी हैं। बताया गांव के साथ आसपास के गावों के लोग बारिश का आकलन पत्थर से टपकती बूदों से करते हैं। मंदिर से पानी की गिरने वाली बूंदो के घनत्व जितना अधिक होगा बारिश उतनी ही मस्त होगी। अनुमान है कि एक पखवाड़े के बाद 20 से 25 जून के बीच से मानसूनी बारिश शुरू हो जाएगी।
9वीं सदी का है जगन्नाथ मंदिर
भीतरगांव इलाके के बेहटा बुजुर्ग गांव के मानसूनी जगन्नाथ मंदिर की आयु का सटीक आकलन कोई नहीं कर पाया। इसको जानने के लिये पुरातत्व विभाग ने कई बार प्रयास किये पर तमाम सर्वेक्षणों के बाद भी मंदिर निर्माण का सही आकलन पुरातत्व वैज्ञानिक नहीं लगा पाए।