भारत का GDP ग्रोथ अनुमान मूडीज ने बढ़ाया, 6.1% से 6.8% तक किया

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नई दिल्ली : इकॉनमी के मोर्चे पर एक और अच्छी खबर आई है। ग्लोबल रेटिंग एजेंसी मूडीज ने 2024 के कैलेंडर साल के लिए भारत के ग्रोथ रेट के अनुमान को बढ़ाकर 6.8% कर दिया है। इससे पहले रेटिंग एजेंसी ने 2024 में भारतीय अर्थव्यवस्था के 6.1% की दर से बढ़ने का अनुमान लगाया था। वर्ष 2023 में भारत के आर्थिक आंकड़े उम्मीद से कहीं बेहतर रहे हैं, जिसकी वजह से मूडीज ने वृद्धि दर का अनुमान बढ़ाया है।

कैलेंडर साल 2023 की चौथी तिमाही में भारत की वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर सालाना आधार पर 8.4% रही है। ऐसे में पूरे 2023 के साल में भारतीय अर्थव्यवस्था 7.7 प्रतिशत की दर से बढ़ी है। मूडीज इन्वेस्टर्स सर्विस ने सोमवार को कहा कि सरकार के पूंजीगत व्यय और मजबूत विनिर्माण गतिविधियों ने 2023 में वृद्धि के मोर्चे पर सार्थक नतीजे दिए हैं।

रेटिंग एजेंसी का मानना है कि वैश्विक स्तर पर प्रतिकूल परिस्थितियां अब कम रह गई हैं, जिसकी वजह से भारत आसानी से छह से सात प्रतिशत की वृद्धि दर्ज कर सकता है। मूडीज ने अपने वैश्विक वृहद आर्थिक परिदृश्य-2024 में कहा, ‘भारत की अर्थव्यवस्था ने अच्छा प्रदर्शन किया है और 2023 में उम्मीद से अधिक मजबूत आंकड़ों के कारण हमने 2024 के लिए अपना वृद्धि दर का अनुमान 6.1 प्रतिशत से बढ़ाकर 6.8 प्रतिशत कर दिया है। भारत जी-20 देशों में सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था बना रहेगा।’ मूडीज ने कहा कि 2025 में भारत की सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर 6.4 प्रतिशत रहने का अनुमान है।

रेटिंग एजेंसी ने कहा कि उच्च-आवृत्ति के संकेतकों से पता चलता है कि अर्थव्यवस्था की सितंबर और दिसंबर तिमाही की मजबूत रफ्तार 2024 की मार्च तिमाही में जारी है। मूडीज ने कहा, ‘मजबूत जीएसटी कलेक्शन, बढ़ती वाहन बिक्री, उपभोक्ता भरोसा और दो अंक की ऋण वृद्धि से पता चलता है कि शहरी मांग मजबूत बनी हुई है। आपूर्ति पक्ष की बात करें, तो विनिर्माण और सेवा पीएमआई का विस्तार ठोस आर्थिक रफ्तार का प्रमाण है।’ इस साल के अंतरिम बजट में पूंजीगत व्यय के लिए आवंटन 11.1 लाख करोड़ रुपये या 2024-25 के सकल घरेलू उत्पाद के 3.4 प्रतिशत के बराबर रखा गया है। यह 2023-24 के अनुमान से 16.9 प्रतिशत अधिक है।

मूडीज ने कहा, ‘हम आम चुनाव के बाद नीतिगत मोर्चे पर निरंतरता की उम्मीद कर रहे हैं। इसके अलावा हमारा मानना है कि बुनियादी ढांचा क्षेत्र को आगे बढ़ाने का काम जारी रहेगा।’ रेटिंग एजेंसी ने कहा कि हालांकि निजी औद्योगिक पूंजीगत व्यय की वृद्धि धीमी रही है, लेकिन आपूर्ति श्रृंखला विविधीकरण के लाभ और सरकार की उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (पीएलआई) योजनाओं पर निवेशकों की प्रतिक्रिया से इसमें तेजी आने की उम्मीद है। वर्ष 2024 भारत, इंडोनेशिया, मेक्सिको, दक्षिण अफ्रीका, ब्रिटेन और अमेरिका जैसे कई जी-20 देशों के लिए चुनावी साल है। मूडीज ने कहा कि चुनाव का असर सीमा से आगे दिखाई देता है। मूडीज ने कहा कि इन चुनावों में जो नेता चुने जाएंगे, अगले चार से पांच साल के दौरान घरेलू और विदेशी नीतियों पर उनका प्रभाव देखने को मिलेगा।

मूडीज इन्वेस्टर्स सर्विस ने सोमवार को कहा कि सरकार के पूंजीगत व्यय और मजबूत मैन्युफैक्चरिंग गतिविधियों ने 2023 में ग्रोथ के मोर्चे पर सार्थक नतीजे दिए हैं. रेटिंग एजेंसी का मानना है कि ग्लोबल लेवल पर प्रतिकूल परिस्थितियां अब कम रह गई हैं, जिसकी वजह से भारत आसानी से छह से सात प्रतिशत की ग्रोथ दर्ज कर सकता है.

मूडीज ने कहा है कि भारत की अर्थव्यवस्था ने अच्छा प्रदर्शन किया है और 2023 में उम्मीद से अधिक मजबूत आंकड़ों के कारण हमने 2024 के लिए अपना वृद्धि दर का अनुमान 6.1 प्रतिशत से बढ़ाकर 6.8 प्रतिशत कर दिया है. भारत जी-20 देशों में सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था बना रहेगा.

मूडीज ने कहा कि 2025 में भारत की जीडीपी की वृद्धि दर 6.4 प्रतिशत रहने का अनुमान है. रेटिंग एजेंसी ने कहा कि उच्च-आवृत्ति के संकेतकों से पता चलता है कि अर्थव्यवस्था की सितंबर और दिसंबर तिमाही की मजबूत रफ्तार 2024 की मार्च तिमाही में जारी है.

मूडीज ने कहा है कि मजबूत जीएसटी कलेक्शन, बढ़ती वाहन बिक्री, उपभोक्ता भरोसा और दो अंक की ऋण वृद्धि से पता चलता है कि शहरी मांग मजबूत बनी हुई है. आपूर्ति पक्ष की बात करें, तो विनिर्माण और सेवा पीएमआई का विस्तार ठोस आर्थिक रफ्तार का प्रमाण है. इस साल के अंतरिम बजट में पूंजीगत व्यय के लिए आवंटन 11.1 लाख करोड़ रुपये या 2024-25 के सकल घरेलू उत्पाद के 3.4 प्रतिशत के बराबर रखा गया है. यह 2023-24 के अनुमान से 16.9 प्रतिशत अधिक है.

साल 2024 भारत, इंडोनेशिया, मेक्सिको, दक्षिण अफ्रीका, ब्रिटेन और अमेरिका जैसे कई जी20 देशों के लिए चुनावी साल है. मूडीज ने कहा कि चुनाव का असर सीमा से आगे दिखाई देता है. मूडीज ने कहा कि इन चुनावों में जो नेता चुने जाएंगे, अगले चार से पांच साल के दौरान घरेलू और विदेशी नीतियों पर उनका प्रभाव देखने को मिलेगा.

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