नई दिल्ली(New Delhi) । भारत (India)में इस साल गर्मियों में 40,000 से ज्यादा हीट स्ट्रोक (Heat Stroke)के मामले सामने आए हैं। इनमें 100 से ज्यादा लोग मौत का शिकार (death victim)भी हुए हैं। यह चौंकाने वाला खुलासा (Shocking revelation)यूनाइडेट नेशंस की एक रिपोर्ट में हुआ है। कॉल टू ऐक्शन ऑन एस्क्ट्रीम हीट नाम की यह रिपोर्ट गुरुवार को जारी हुई है। यह अपनी तरह की पहली रिपोर्ट है जिसमें 10 संयुक्त राष्ट्र सदस्य देशों के हालात के बारे में जानकरी दी गई है। इतना ही नहीं, भारत से लेकर सऊदी अरब में पिछले 100 दिनों में हुई मौतों को लेकर भी आंकड़ा बताया गया है। आंकड़ों के मुताबिक गर्मी के चलते 2000-2004 के मुकाबले 2018 से 2022 के बीच 85 फीसदी अधिक बुजुर्गों ने जान गंवाई है।
रिपोर्ट के मुताबिक इसे चार तरह के हालात के आधार पर तैयार किया गया है, जिन पर ऐक्शन की जरूरत है। इसमें कमजोर लोगों की देखभाल, मजदूरों की रक्षा, डेटा और साइंस के इस्तेमाल से आर्थिक और सामाजिक लचीलेपन को बढ़ावा देना। इसके अलावा तापमान में 1.5 डिग्री सेल्सियस की कमी लाने की बात भी कही गई है। बता दें कि भारत के पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय ने अत्यधिक गर्म मौसम को लेकर संसद को जानकारी दी है। इसमें बताया गया है कि एक्स्ट्रीम हीट अभी ऐसी प्राकृतिक आपदा नहीं है, जिसे आर्थिक मदद की जरूरत हो। इसमें कहा गया है कि 15वां वित्त आयोग अभी इसे पैसे खर्च करने लायक नहीं मानता है। इतना ही नहीं, मंत्रालय ने यह भी कहा है कि मौसम की बेहतर भविष्यवाणी के चलते हीट वेव से होने वाली मौतों में कमी आई है। इसके ठीक एक दिन बात ही संयुक्त राष्ट्र की यह रिपोर्ट आई है जो चिंता बढ़ाने वाली है।
संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के मुताबिक 2000 से 2019 के बीच अत्यधिक गर्मी के चलते करीब 489,000 मौतें हुई हैं। इसमें 45 फीसदी एशिया और 36 फीसदी यूरोप में हुई हैं। इतना ही नहीं, गर्मी के चलते केवल 2022 में ही करीब 863 बिलियन डॉलर के बराबर आय का नुकसान हुआ है। अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन का आंकड़ा दिखाता है कि दुनिया के 70 फीसदी से ज्यादा श्रमिक एक्स्ट्रीम हीट के चलते संकट में हैं। इसके चलते श्रमिकों के बीच हर साल 22.85 मिलियन चोटें और 18,970 मौतें हो रही हैं। इसमें अफ्रीका, अरब देश और एशिया-पैसिफिक सबसे ज्यादा प्रभावित हैं।
आने वाले वक्त में यह चीजें और भी खराब होने के आसार हैं क्योंकि ब्रह्मांड तेजी से गर्म हो रहा है। औसत तापमान के तेजी से बढ़ने का अनुमान लगाया गया है। एक्स्ट्रीम हीट का मामला जो पहले 50 साल में एक बार होता था, अब करीब पांच बार होने लगा है। आने वाले वक्त में अनुमान है कि इसकी फ्रीक्वेंसी बढ़कर 14 बार हो जाएगी। यूनिसेफ के मुताबिक 2050 तक करीब 2.2 बिलियन बच्चे हाई हीटवेव की चपेट में आएंगे। यह 2020 के 24 फीसदी के मुकाबले कहीं ज्यादा है।